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प्रशांत-योगेंद्र आप की कार्यकारिणी से बाहर, मेधा ने दिया इस्तीफा

मौजूदा दलों को नकारा साबित कर वैकल्पिक राजनीति देने के दावे के साथ महज ढाई साल पहले बनी आम आदमी पार्टी (आप) ने शनिवार को अपनी अंदरूनी उठा-पटक के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। भारी हंगामे, मार-पीट और नारेबाजी के बीच पार्टी की राष्ट्रीय समिति ने आखिरकार अपने संस्थापक सदस्यों प्रशांत

By anand rajEdited By: Published: Sat, 28 Mar 2015 02:11 PM (IST)Updated: Sun, 29 Mar 2015 01:24 AM (IST)
प्रशांत-योगेंद्र आप की कार्यकारिणी से बाहर, मेधा ने दिया इस्तीफा

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। मौजूदा दलों को नकारा साबित कर वैकल्पिक राजनीति देने के दावे के साथ महज ढाई साल पहले बनी आम आदमी पार्टी (आप) ने शनिवार को अपनी अंदरूनी उठा-पटक के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। भारी हंगामे, मार-पीट और नारेबाजी के बीच पार्टी की राष्ट्रीय समिति ने आखिरकार अपने संस्थापक सदस्यों प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव को पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी से बाहर कर दिया। पार्टी ने ऐसी ही कार्रवाई उनका साथ देने वाले आनंद कुमार और अजित झा के खिलाफ भी की है। इन्हें पार्टी की सदस्यता से भी हटाने की तैयारी कर ली गई है। फैसले के खिलाफ नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर ने भी पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। जबकि पार्टी संसदीय दल के नेता और पटियाला से लोकसभा सदस्य धर्मवीर गांधी ने ऐसी मनमानी के लिए खुल कर केजरीवाल गुट का विरोध किया है।

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केजरीवाल का विरोध करने वाले नेताओं को अब पार्टी से पूरी तरह बाहर करने की तैयारी भी कर ली गई है। शनिवार को हुई बैठक में पार्टी की राजनीतिक मामलों की समिति (पीएसी) को पार्टी के खिलाफ सार्वजनिक बयान देने वाले इन नेताओं के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई का अधिकार दिया गया है। इससे पहले खुद प्रशांत भूषण ही पार्टी की अनुशासन समिति के प्रमुख थे। हालांकि सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील भूषण इस पूरी कार्रवाई के खिलाफ कानूनी विकल्प अपना सकते हैं। विद्रोही नेताओं के समर्थन में मुंबई में मेधा के पार्टी छोडऩे की घोषणा के साथ ही सांसद गांधी ने भी प्रेस कांफ्रेंस करके पार्टी निर्णय से नाइत्तेफाकी जाहिर की। उन्होंने कहा कि अब पार्टी में किसी को अपने विचार रखने का हक नहीं रहा है। इस प्रकार तो पार्टी में लोकतंत्र खत्म हो जाएगा। इस प्रकार से चार सांसदों वाली पार्टी को अब अपने एक वरिष्ठ सांसद के विरोध का भी सामना करना पड़ेगा।

इससे पहले शनिवार को बेहद नाटकीय तरीके से आप की राष्ट्रीय समिति की बैठक में केजरीवाल विरोध का झंडा बुलंद किए चार नेताओं को राष्ट्रीय कार्यकारिणी से बाहर करने का प्रस्ताव पारित किया गया। पार्टी ने दावा किया है कि राष्ट्रीय सचिव पंकज गुप्ता की ओर से पेश किए गए प्रस्ताव के पक्ष में 247 मत पड़े। दस सदस्यों ने इसका विरोध किया जबकि 54 ने मतदान में भाग नहीं लिया। हालांकि यह प्रस्ताव पारित होने से पहले ही भूषण, यादव, कुमार और झा बैठक से बाहर आ गए। उन्होंने बाहर आकर आरोप लगाया कि बैठक पूरी तरह से फर्जी थी और इसमें सदस्यों के साथ मार-पीट की गई।

सुबह बैठक की शुरुआत में पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने अपने भाषण में ही इस कार्रवाई की भूमिका बांध दी। उन्होंने आधा घंटे के भाषण में भूषण और यादव पर कई आरोप लगाए और अंत में कहा कि अब यह पार्टी को तय करना है कि कौन पार्टी में रहेगा। इसके बाद बैठक की अध्यक्षता उन्होंने दिल्ली सरकार के मंत्री गोपाल राय को दे दी। इसी बीच मनीष सिसोदिया ने कहा कि पार्टी के 167 लोगों ने लिखित प्रस्ताव दिया है कि इन चार लोगों को कार्यकारिणी से निकाला जाए।

संजय ने मारपीट के आरोप को झूठा कहा

आप नेता संजय सिंह ने दावा किया है कि किसी भी सदस्य के साथ मार-पीट की बात झूठी है और जिन लोगों के खिलाफ पार्टी ने कार्रवाई की है, वे जान-बूझ कर ऐसी अफवाहें फैला रहे हैं। उन्होंने कहा कि जरूरत पड़ी तो इस बात के प्रमाण भी पेश किए जाएंगे। इससे पहले भूषण ने दावा किया था कि हरियाणा के सदस्य रमजान चौधरी को बाउंसरों ने लात-घूसों और जूतों से पीटा। चौधरी का कहना था कि हो सकता है कि उसका पैर भी इसमें टूट गया हो। उधर, संजय सिंह के मुताबिक चौधरी केजरीवाल के भाषण के दौरान चिल्ला रहे थे, इसलिए उन्हें बाहर कर दिया गया।

केजरीवाल ने लोगों को भड़काया

बैठक के बाद प्रेस कांफ्रेंस कर भूषण और यादव ने कहा कि यह सब एक पूर्व नियोजित साजिश के तहत हुआ है। केजरीवाल लोगों को उत्तेजित कर रहे थे और पीछे से विधायक कह रहे थे कि गद्दारों को निकालो। फिर उन्हीं के लोग आकर उन्हें शांत कर रहे थे। दोनों गुटों में पिछले एक महीने से गंभीर मनमुटाव चल रहा था।

विद्रोहियों के आरोप

1. उनके पक्ष के सदस्यों को अंदर नहीं जाने दिया गया।

2. सामंजस्य की बात करने वालों को मारा-पीटा गया।

3. गुप्त मतदान की अपील ठुकराई गई और फर्जी तरीके से वोटिंग हुई।

4. दूसरे पक्ष को बोलने का मौका भी नहीं दिया गया।

5. पार्टी लोकपाल या निष्पक्ष व्यक्ति को मौजूद रखने की अपील ठुकराई।

विद्रोही गुट के प्रमुख लोग

1. प्रशांत भूषण

2. योगेंद्र यादव

3. धर्मवीर गांधी

4. शांति भूषण

5. अजित झा

6. आनंद कुमार

पूर्व में आप छोड़ने वाले नेता

1. विनोद कुमार बिन्नी

2. शाजिया इल्मी

3. कैप्टन जीआर गोपीनाथ

4. मधु भादुड़ी

5. एसपी उदयकुमार

6. अशोक अग्रवाल

7. अंजलि दमानिया

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