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दो महिलाओं ने मिलकर जिंदा कर दी एक नदी, लोगों को अब समझ में आ रही इनकी अहमियत

दक्षिण अफ्रीका के जोहानेसबर्ग शहर में पर्यावरण संरक्षण से जुड़ी दो महिलाओं ने अपने बुलंद इरादों से शहर की नदी को प्रदूषण से मुक्त करने की ठानी है. उनकी लगातार कोशिशें रंग ला रही हैं और स्थानीय लोग जागरूक हो रहे हैं.

By Kamal VermaEdited By: Published: Mon, 22 Feb 2021 12:51 PM (IST)Updated: Tue, 23 Feb 2021 07:02 AM (IST)
दो महिलाओं ने मिलकर जिंदा कर दी एक नदी, लोगों को अब समझ में आ रही इनकी अहमियत
दो महिलाओं ने फिर जिंदा कर दी एक नदी

नई दिल्‍ली (ऑनलाइन डेस्‍क)। जोहानेंसबर्ग की एक नदी जुक्‍सकी (Jukskei river) जो लगभग मर चुकी थी और कूड़े का ढेर से लगातार दब रही थी, को दो महिलाओं ने दोबारा जिंदा कर दिया है। इन महिलाओं के हौसले की बदौलत आज ये नदी फिर से कल-कल कर बहने लगी है। इनके प्रयास की बदौलत लोगों में भी इनके प्रति जागरुकता का माहौल पैदा हुआ है और इसकी अहमियत को वो समझने लगे हैं। जिन दो महिलाओं ने इस खत्‍म होती नदी को नया जीवनदान दिया है उनका नाम रोमी स्‍टेंडर और हैनेली कोएत्‍जी है। रोमी एक पयार्वरण प्रेमी और वॉटर फॉर द फ्यूचर नाम की संस्थाक भी हैं, तो हैनेली एक आर्टिस्‍ट हैं। इन दोनों को उम्‍मीद है कि इनका ये मॉडल यदि अन्‍य नदियों पर भी आजमाया जाए तो खत्‍म हो चुकी नदियों को दोबारा जीवित किया जा सकता है।

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इन महिलाओं के लिए ये काम मुश्किल जरूर था लेकिन इसको इन्‍होंने अपनी मजबूती और दृढ संकल्‍प के जरिए आसान बना लिया। अन्‍य महिलाओं के सहयोग से इन्‍होंने यहां पर मौजूद गंदगी को दूर किया और इसमें फैली खरपतवार को निकाल फेंका। इसकी बदौलत इन महिलाओं ने महज ढाई माह में ही इस नदी को पहले की तरह साफ बना दिया है। इन्‍होंने नदी को लेकर अपनी मुहिम दिसंबर 2020 में छेड़ी थी। रोमी और हैनेली वो चाहती हैं पानी के नीचे कुदरती फिल्टर बिछाकर नदी को बचाया जा सकता है। रोमी का कहना है कि पानी किसी समाज का प्रतिबिंब होता है और यहां पर ये काफी गंदा और जहरीला है।

रैंड वॉटर नाम की संस्था का मानना है कि दक्षिण अफ्रीका में खनन, कृषि, शहरीकरण और प्रदूषण की वजह से पानी के स्रोतों की गुणवत्ता में लगातार गिरावट आ रही है। हालांकि रोमी मानती हैं कि इन हालातों को बदला जा सकता है। साथ ही नदियों में फैले प्रदूषण को भी खत्म किया जा सकता है। उनके मुताबिक वो एक ग्रीन कॉरिडोर बनाना चाहती हैं। इसके अलावा वो नदियों को प्रदूषण मुक्‍त करने के लिए आर्थिक मदद दे रही कंपनी के साथ मिलकर कम्‍यूनिटी प्रोजेक्‍ट पर काम कर रही हैं। दक्षिणअफ्रीका में रोमी और हैनेली के किए काम की तुलना न्यूयार्क शहर के हाई लाइन पार्क से की जा रही है।

जुक्‍सकी नदी के किनारे कभी एक लॉन्‍ड्री की फैक्‍ट्री हुआ करती थी, जो इसमें प्रदूषण का बड़ा कारण थी। इन महिलाओं की मेहनत से आज यहां से वो दूर जा चुकी है और अब यहां पर एक आर्ट स्‍टूडियो है। इसके अलावा यहां पर एक बाग, क्‍लीनिक, क्रेच है। कोएत्‍जी और रोमी इस नदी को और अधिक जीवंत बनाने की कोशिश कर रही हैं। इसके लिए वो शोधकर्ताओं से लेकर इंजीनियरों, वास्‍तुकारों और वैज्ञानिकों का भी सहयोग लेने में लगी हैं। पिछले वर्ष सितंबर में नदी में एक कंट्रोल स्‍टेशन स्‍थापित किया गया था। इसके अलावा यहां पर पानी की गुणवत्‍ता नापने के लिए डिवाइस लगाई गई है। यहां के स्‍थानीय लोगों के सहयोग और विभिन्‍न कंपनियों के माध्‍यम से मिले सहयोग के बाद इस नदी में गिरने वाले गंदे नालों को और गैरकानूनी सीवेज कनेक्‍शन को भी यहां से हटाया गया है।

कोएत्जी के मुताबिक इस नदी का पानी कितना साफ है इसके बारे में मार्च में टेस्टिंग के नतीजे सामने आ जाएंगे। लेकिन यहां पर होने वाली खरपतवार एक बड़ी समस्‍या बनी हुई है जो बार-बार हो जाती है और पानी के साथ बहने लगती है। पर्यावरण मंत्रालय की एक रिपोर्ट में भी इसका खुलासा किया गया है कि कैसे यहां उगने वाली खरपतवार नदी के प्रवाह को कम कर देती है।

उनकी नदी को साफ बनाने की मुहिम के बाद अब स्‍थानीय लोग भी इस बात को समझने लगे हैं कि इसकी उन्‍हें कितनी जरूरत है। यहां पर इको-ट्री-सीट भी बनाई गई हैं। पेड़ों के चारों तरफ पानी को रोकने के लिए गोलाकार ढांचे बनाए गए हैं। कोएत्‍जी और उनकी संस्‍था वाटर फॉर द फ्यूचर अब यहां पर कुछ नया करने के बारे में सोच रही है। उन्‍होंने बच्‍चों से इस बारे में अपनी राय लिखने को कहा है कि वो पहले और अब इस नदी के बारे में क्‍या सोचते हैं। वहीं स्टैंडर लगातार इस मुहिम में लोगों को उनकी भूमिका के बारे में बता रही हैं। वो उन लोगों से भी संपर्क में हैं जिनकी जमीन इस नदी के किनारे पर है। हालांकि ऐसा नहीं है कि यहां पर हर कोई उनका पक्ष ही लेता है। कुछ ऐसे भी हैं जो लगातार उनकी आलोचना करते हैं।


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