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कवाल प्रकरण की बरसी: दंगे की आग में जल उठा था मुजफ्फरनगर

मुजफ्फरनगर के कवाल में ग्रामीणों ने शांति बनाए रखने में प्रशासन का सहयोग करने का वायदा किया है। बहुसंख्यक वर्ग के निर्णय का मुस्लिमों ने स्वागत किया और कहा कि उन्होंने कभी किसी के कवाल गांव से होकर गुजरने का विरोध नहीं किया। गौरतलब है कि कवाल में पिछले साल छेड़छाड़ को लेकर विवाद में अल्पसंख्यक युवक की हत्या के

By Edited By: Published: Tue, 26 Aug 2014 10:32 AM (IST)Updated: Tue, 26 Aug 2014 10:37 AM (IST)
कवाल प्रकरण की बरसी: दंगे की आग में जल उठा था मुजफ्फरनगर

लखनऊ। मुजफ्फरनगर के कवाल में ग्रामीणों ने शांति बनाए रखने में प्रशासन का सहयोग करने का वायदा किया है। बहुसंख्यक वर्ग के निर्णय का मुस्लिमों ने स्वागत किया और कहा कि उन्होंने कभी किसी के कवाल गांव से होकर गुजरने का विरोध नहीं किया। गौरतलब है कि कवाल में पिछले साल छेड़छाड़ को लेकर विवाद में अल्पसंख्यक युवक की हत्या के प्रतिशोध में दो युवकों की हत्या कर दी गई थी। इसके बाद पंचायत से लौट रहे लोगों पर हिंसा के बाद पूरा जिला दंगे की आग में जल उठा था।

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दरअसल, रविवार को कवाल में बहुसंख्यकों की बैठक में सचिन-गौरव की पुण्य तिथि के दिन किसी भी सूरत में गांव की शांति भंग न होने देने का निर्णय लिया गया था। यह मामला गांव में मुस्लिम समाज में यह मुद़्दा चर्चा का विषय बना रहा। समाज के कुछ लोगों ने गत वर्ष हुई तोड़फोड़ को देखते प्रशासन से सुरक्षा के पुख्ता इंतजामों की मांग की थी।

गांव के चौराहे पर चर्चा में मशगूल मुस्लिमों ने बहुसंख्यक वर्ग के लोगों के निर्णय का स्वागत किया है। उन्होंने मंगलवार को गांव के दोनों वगरें के गणमान्य लोगों की बैठक करने का भी निर्णय लिया है।

ग्राम प्रधान कवाल महेंद्र सैनी ने बताया कि ट्रैक्टर ट्राली जैसे खुले वाहन बाइपास से निकल जायें जबकि कार, बाइक जैसे वाहन कवाल के अंदर से होकर निकाल लिये जायें। इससे व्यवस्था भी बनी रहेगी और किसी को दिक्कत भी नहीं होगी। सारे गांव के लोग यही चाहते हैं कि फिर से कोई बखेड़ा न खड़ा हो। सब लोग मिल जुलकर रहें, सबकी यही मंशा है।

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