देश के जवानों को बारूदी सुरंग से बचाएगा ये खास जूता
सुरक्षा बलों के जवान अब बारूदी सुरंग से बेखौफ होकर नक्सली इलाकों में अपने काम को अंजाम दे सकेंगे। जवानों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए शहर का एक संस्थान जुटा हुआ है। यहां स्थित फुटवियर डिजाइन एंड डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट (एफडीडीआइ) ने शोध के बाद
प्रभात उपाध्याय, नोएडा। सुरक्षा बलों के जवान अब बारूदी सुरंग से बेखौफ होकर नक्सली इलाकों में अपने काम को अंजाम दे सकेंगे। जवानों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए शहर का एक संस्थान जुटा हुआ है। यहां स्थित फुटवियर डिजाइन एंड डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट (एफडीडीआइ) ने शोध के बाद विशेष प्रकार का जूता तैयार कर लिया है, जो नक्सली इलाकों में सुरक्षा बलों के जवानों को बारूदी सुरंगों से सुरक्षा मुहैया कराएगा।
इस एंटी माइन शू को ट्रायल के लिए डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (डीआरडीओ) की चंडीगढ़ स्थित बैलेस्टिक लैब भेजा गया है। ट्रायल सफल होने पर इसे सुरक्षा बलों को उपलब्ध कराने की योजना है।
सेक्टर-24 स्थित एफडीडीआइ को डीआरडीओ की ओर से एंटी माइन शू तैयार करने को कहा गया था। संस्थान ने एक साल के शोध के बाद जो जूता तैयार किया है, उसका वजन पौने तीन किलो है। विशेषज्ञों का कहना है कि एक मध्यम आकार की बारूदी सुरंग फटने के बाद 40,000 किलो प्रति वर्ग सेंटीमीटर तक दबाव उत्पन्न करती है।
विशेष पदार्थो की मदद से तैयार किया गया एंटी माइन शू इसे मात्र 160 किलो प्रति वर्ग सेंटीमीटर तक सीमित कर देगा। यही नहीं, जूते के भीतरी हिस्से को इस तरह से बनाया गया है कि कई किलोमीटर पैदल चलने के बाद भी पैरों को तकलीफ न हो। अभी तक नक्सली इलाकों में सैनिक जिस जूते का इस्तेमाल करते हैं, उसका वजन तीन किलो से अधिक है। साथ ही बारूदी सुरंग के दबाव को झेलने की उसकी क्षमता भी कम है।
पॉलीमर यूरोथीन का हुआ है इस्तेमाल
जूते के सोल को पॉलीमर यूरोथीन से तैयार किया गया है। यह बारूदी सुरंग फटने के बाद लगने वाले झटके को कम कर देता है। साथ ही यह वजन में भी हल्का होता है। सोल के भीतर एक विशेष पदार्थ भी डाला गया है। पोरस भी झटके को कम करने में मदद करता है।
मध्यम आकार की बारूदी सुरंग में कारगर
बारूदी सुरंग मुख्य तौर पर तीन तरह की होती है। सबसे बड़ी बारूदी सुरंग का इस्तेमाल पहाड़ तोड़ने के लिए किया जाता है। नक्सली या माओवादी आमतौर पर छोटी या मध्यम आकार की बारूदी सुरंग का इस्तेमाल करते हैं।
120 जोड़ी जूते तैयार करने के मिले थे निर्देश
डीआरडीओ ने एफडीडीआइ को 120 जोड़ी जूते तैयार करने को कहा था, जिसमें से ट्रायल के लिए जूते लैब में भेजे जा रहे हैं। एफडीडीआइ के विशेषज्ञों के अनुसार, बरसात में ट्रायल के नतीजे बेहतर नहीं आते हैं, इसलिए ट्रायल नहीं हो पा रहा था। जल्द ही यह प्रक्रिया शुरू होगी।
एंटी स्नेक शू तैयार कर चुका है संस्थान
पहले भी एफडीडीआइ ने सुरक्षाबलों के लिए कई तरह के जूते तैयार किए हैं। केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के जवानों के लिए विशेष एंटी स्नेक शू तैयार किया है जो जंगली इलाकों में जवानों को सांप के जहर से बचाता है। इसके अलावा बीएसएफ व इंडो-तिब्बत सीमा पुलिस आइटीबीपी के लिए जंगल बूट, एयरपोर्ट अथॉरटी के लिए फायर फाइटर शू और सेना के लिए हल्के स्पोर्ट्स शू भी तैयार किए हैं।