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जान की बाजी लगा पिता ने तेंदुए के मुंह से 8 साल के बेटे को छुड़ाया

मध्‍यप्रदेश के धार के ग्राम पिपलीमाल में गुरुवार रात घर के बाहर पिता के साथ खटिया पर सो रहे 8 साल बच्चे पर तेंदुए ने हमला कर दिया। बेटे के लिए पिता ने भी जान की बाजी लगा दी और तेंदुए से संघर्ष कर बेटे को छुड़ा लाया।

By vivek pandeyEdited By: Published: Sat, 11 Apr 2015 09:14 AM (IST)Updated: Sat, 11 Apr 2015 10:16 AM (IST)
जान की बाजी लगा पिता ने तेंदुए के मुंह से 8 साल के बेटे को छुड़ाया

नालछा, धार। मध्यप्रदेश के धार के ग्राम पिपलीमाल में गुरुवार रात घर के बाहर पिता के साथ खटिया पर सो रहे 8 साल बच्चे पर तेंदुए ने हमला कर दिया। बेटे के लिए पिता ने भी जान की बाजी लगा दी और तेंदुए से संघर्ष कर बेटे को छुड़ा लाया। हालांकि संघर्ष में तेंदुए ने पिता को भी घायल कर दिया। उधर घटना के करीब 14 घंटे बाद वन विभाग का अमला सक्रिय हुआ।

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घटना ग्राम पिपलीमाल में गुरुवार रात करीब 12 बजे हुई। गर्मी के चलते लोग अपने घरों के बाहर सो रहे हैं। भीतरी क्षेत्र के इस ग्राम का सुनील (8) अपने पिता गुलसिंह के साथ सोया था, तभी एक वन्य प्राणी ने हमला कर दिया। बताया जाता है कि यह तेंदुआ था।

तेंदुए ने हमला करते हुए बच्चे के गले पर ही वार किया और उसे मुंह में दबा लिया। जब बच्चे की चीख सुनाई दी तो पिता को अहसास हुआ कि कोई वन्य जीव आ गया है। उसने अपने बच्चे की जान बचाने के लिए तेंदुए को भगाने की कोशिश की। पास में रखी लाठी का भी उपयोग किया, लेकिन तेंदुए ने गुलसिंह पर भी हमला कर दिया, जिससे उसे चोटें आई हैं।

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परिवार के अन्य सदस्य भी वहीं सोए थे उन्होंने ग्रामीणों से मदद की पुकार की। ग्राम के अन्य लोग लाठी आदि लेकर घटनास्थल पहुंचे तब तेंदुआ भाग खड़ा हुआ। इधर दोनों ही घायलों को उपचार के लिए 108 एम्बुलेंस के माध्यम से पहले नालछा स्वास्थ्य केंद्र भेजा गया और प्राथमिक उपचार के बाद जिला चिकित्सालय भेजा। जहां दोनों का उपचार जारी है। 108 एम्बुलेंस के लोको पायलेट भारत आर्य की मदद से घायलों को उपचार समय पर मिल पाया।

मवेशियों को खा रहा था

दरअसल यह तेंदुआ लगातार हमले कर रहा था, लेकिन यह पहला वाकया है जब किसी मानव पर हमला किया है। अब तक वह मवेशियों पर ही हमला कर रहा था। ग्राम बंगरेड, पिपलीमाल, लोभानपुरा, शिकारपुरा आदि क्षेत्र में यह एक दर्जन जानवरों को नुकसान पहुंचा चुका है। इस तेंदुए का आतंक ग्रामीण करीब दो माह से महसूस कर रहे हैं।

पगमार्ग से हुई पुष्टि

इधर इस पूरे मामले में वन विभाग की टीम करीब 14 घंटे बाद सक्रिय हुई। शुक्रवार को दोपहर में टीम मौके पर पहुंची। उच्च अधिकारियों द्वारा जानकारी देने पर मैदानी स्तर के कर्मचारी पहुंचे। बताया जाता है कि वन विभाग ने मौके पर पगमार्ग यानी तेंदुए के पदचिन्ह देखे हैं। इससे पुष्टि हो रही है कि वह तेंदुआ ही था। इधर यह बात सामने आ रही है कि वन्य क्षेत्रों में तेंदुए को खाने और पानी दोनों की ही दिक्कत हो चुकी है। ऐसे में वे पहले तो मवेशियों को शिकार बना रहे हैं और जब मवेशियों का शिकार नहीं कर पा रहे हैं तो वे नरभक्षी हो रहे हैं।

पिंजरा लगा सकते हैं

पगमार्क से यह मालूम हुआ है कि तेंदुए ने हमला किया है। फिलहाल हमने वन विभाग के मैदानी कर्मचारियों की टीम बनाकर आगामी कार्रवाई शुरू कर दी है। जैसे ही हमें आवश्यकता होगी वैसे ही हम पिंजरा भी लगा सकते हैं। -गौरव चौधरी, डीएफओ धार

(साभार- नई दुनिया)

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