2014-2015 में किसानों की आत्महत्या के मामले में 42 फीसदी की बढ़ोत्तरी
देश में 2014-2015 में किसानों की आत्महत्या के मामले में 42 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है।
नई दिल्ली (जेएनएन)। नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) द्वारा जारी किए गए आंकड़ों से इस बात का खुलासा हुआ है कि 2014 से 2015 के दौरान देश में किसानों की आत्महत्या करने के मामलों में 42 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है। एनसीआरबी के मुताबिक, 2014 में किसानों और खेती के पेशे पर आश्रित 5650 लोगों ने आत्महत्या की। ताजा आंकड़ों में यह बढ़कर 8007 हो गया।
2014 और 2015 में देश के कई राज्यों को भीषण सूखे का सामना करना पड़ा था। इनमें महाराष्ट्र भी शामिल था, जहां लगातार दो साल सूखा पड़ा था।
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किसानों के आत्महत्या करने के सबसे ज्यादा 3030 मामले महाराष्ट्र में सामने आए जो देश में कुल मामलों का 37.8 पर्सेंट है। तेलंगाना 1358 मामलों के साथ दूसरे नंबर पर रहा जबकि कर्नाटक 1197 आत्महत्याओं के साथ तीसरे नंबर पर है। महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और कर्नाटक में कुल 94.1 फीसदी आत्महत्या के मामले हुए।
कई राज्यों में किसानों की आत्महत्या करने का एक भी मामला दर्ज नहीं हुआ। जिनमें बिहार, पश्चिम बंगाल, गोवा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, झारखंड, मिजोरम, नगालैंड और उत्तराखंड शामिल है। रिपोर्ट के मुताबिक, बीते दो-तीन सालों में मॉनसून बेहद खराब रहा।
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एनसीआरबी के आंकड़ों से जिस समयावधि में किसानों द्वारा आत्महत्या के मामलों में तेजी देखी गयी है, वहीं कृषि के क्षेत्र में काम करने वाले मजदूरों की आत्महत्या के मामलों में 31.5% की गिरावट दर्ज की गई।