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2018 से पहले नहीं रुक पाएगा गंगा में सीवेज का गिरना

सरकार की महत्वाकांक्षी 'नमामि गंगे' योजना 2018 से पहले शहरी सीवेज गंगा में गिरने से नहीं रोक पाएगी।

By Manish NegiEdited By: Published: Mon, 08 Feb 2016 07:53 PM (IST)Updated: Mon, 08 Feb 2016 08:18 PM (IST)
2018 से पहले नहीं रुक पाएगा गंगा में सीवेज का गिरना

नई दिल्ली। सरकार की महत्वाकांक्षी 'नमामि गंगे' योजना 2018 से पहले शहरी सीवेज गंगा में गिरने से नहीं रोक पाएगी।

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केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय की योजना के मुताबिक 'नमामि गंगे' के तहत पहला सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट दो साल बाद बनकर तैयार होगा। तब तक शहरों के गंदे नाले गंगा में गिरते रहेंगे। यही नहीं, डेढ़ साल बीतने और कई विशेषज्ञ समितियों की सिफारिशों के बाद भी मंत्रालय गंगा के लिए न्यूनतम पारिस्थितिकीय प्रवाह तय नहीं कर पाया है।

मंत्रालय की कार्ययोजना से ही ये चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। सूत्रों के अनुसार, मंत्रालय ने अभी तक सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) लगाने के लिए टेंडर भी जारी नहीं किए हैं। सरकार मई से जुलाई के दौरान 30 शहरों में एसटीपी के लिए टेंडर जारी करेगी। इसके बाद अक्टूबर तक 50 शहरों के लिए कंसेसनरीज (ठेका प्राप्त करने वाली कंपनी) तय करने की योजना है। बाकी शहरों के लिए टेंडर 2017 में जारी किए जाएंगे। मंत्रालय का मानना है कि 'नमामि गंगे' के तहत बनने वाले एसटीपी 2018 में ही चल पाएंगे।

दरअसल, शहरी सीवेज को रोकने से पहले मंत्रालय ठोस कचरे को गंगा में जाने से रोकने की योजना बना रहा है। इससे गंगा ऊपर से तो साफ दिखेगी, लेकिन जल की गुणवत्ता में कोई व्यापक सुधार नहीं होगा। इसके लिए वाराणसी सहित कई शहरों में 'ट्रासबूम' लगाए जा रहे हैं।

हालांकि मंत्रालय की कार्ययोजना पर सिविल सोसाइटी के लोग सवाल उठा रहा हैं। गंगा महासभा के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती का कहना है कि जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय का रवैया टालू और ढीला ढाला है। डेढ़ साल बाद भी गंगा के लिए न्यूनतम पारिस्थितिकीय प्रवाह तय नहीं हुआ है। इस दौरान तीन बार सचिव और तीन बार संयुक्त सचिव बदले गए हैं। यही वजह है कि सरकार ने 30 जनवरी को आठ अलग-अलग मंत्रालयों को गंगा को निर्मल बनाने का काम सौंपा है। अब गंगा के कार्य में तेजी आने की उम्मीद है।

गंगा में शहरी सीवेज की समस्या

4789 एमएलडी सीवेज उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल से गिरता है

1016 एमएलडी साफ करने की है क्षमता

1187 एमएलडी सीवेज साफ करने की क्षमता पर चल रहा फिलहाल काम

2618 एमएलडी सीवेज साफ करने के लिए फिर भी होगी एसटीपी लगाने की जरूरत

2500 एमएलडी सीवेज साफ करने की क्षमता 'नमामि गंगे' के तहत 118 शहरों में बनाने की योजना

अब तक प्रगति

26 मई 2014 : उमा भारती जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री बनीं

01 अगस्त 2014 : पर्यावरण मंत्रालय से गंगा का काम जल संसाधन मंत्रालय को सौंपा

28 फरवरी 2015 : वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 'नमामि गंगे' कार्यक्रम का ऐलान किया

13 मई 2015 : कैबिनेट ने 'नमामि गंगे' के लिए 20 हजार करोड़ रुपये की पंचवर्षीय योजना को दी मंजूरी

30 जनवरी 2016 : गंगा को निर्मल बनाने के लिए केंद्र के आठ मंत्रालयों के बीच एमओयू

पढ़े :सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा, गंगा नदी के लिए क्या कर रही है सरकार


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