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बोफोर्स तोप के लिए जर्मनी के नाम पर चीनी कल-पुर्जे, सीबीआइ ने दर्ज किया केस

सीबीआइ ने आपराधिक साजिश रचने के अलावा ठगी और जालसाजी के आरोपों में एफआइआर दर्ज की है। भारत में बोफोर्स तोप का उत्पादन धनुष आर्टिलरी गन के नाम से किया जाता है।

By Tilak RajEdited By: Published: Sat, 22 Jul 2017 07:31 AM (IST)Updated: Sat, 22 Jul 2017 07:31 AM (IST)
बोफोर्स तोप के लिए जर्मनी के नाम पर चीनी कल-पुर्जे, सीबीआइ ने दर्ज किया केस
बोफोर्स तोप के लिए जर्मनी के नाम पर चीनी कल-पुर्जे, सीबीआइ ने दर्ज किया केस

नई दिल्ली, पीटीआइ। बोफोर्स तोप के लिए मेड इन जर्मनी के नाम पर चीनी कल-पुर्जे की आपूर्ति का मामला सामने आया है। सीबीआइ ने इस फर्जीवाड़े में सिध सेल्स सिंडिकेट (दिल्ली) नामक कंपनी के अलावा गन कैरिज फैक्टरी (जीसीएफ), जबलपुर के अज्ञात अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। सिध सेल्स को छह वायर रेस रॉलर बेयरिंग (डब्ल्यूआरआरबी) की आपूर्ति का ठेका दिया गया था।

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सीबीआइ ने आपराधिक साजिश रचने के अलावा ठगी और जालसाजी के आरोपों में एफआइआर दर्ज की है। भारत में बोफोर्स तोप का उत्पादन धनुष आर्टिलरी गन के नाम से किया जाता है। वर्ष 1999 के कारगिल युद्ध में यह सेना के लिए बेहद उपयोगी सिद्ध हुआ था। जांच एजेंसी का आरोप है कि कंपनी ने जीसीएफ अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर धनुष 155 एमएम गन के लिए चीन निर्मित नकली कल-पुर्जो की आपूर्ति की थी।

एफआइआर के अनुसार, जीसीएफ के अधिकारियों ने साजिश के तहत सिध सेल्स द्वारा मुहैया कराई गई चीन निर्मित बेयरिंग को स्वीकार कर लिया था। इसके ऊपर 'सीआरबी-मेड इन जर्मनी' लिखा था, जबकि बेयरिंग को साइनो यूनाइटेड इंडस्ट्रीज (लूयांग) लिमिटेड, हेनान ने बनाया था। सिध सेल्स ने सीआरबी एंट्रीबेस्टेश्निक कंपनी (जर्मनी) से बेयरिंग खरीद का फर्जी प्रमाणपत्र भी मुहैया कराया था।

जांच में फेल
सिध सेल्स ने बेयरिंग के काम न करने या खराब होने की स्थिति में बिना किसी शुल्क के बदलने का स्पष्टीकरण दिया था। सीबीआइ का आरोप है कि जीसीएफ के अनाम अधिकारियों ने विशेष मामला बताकर बिना जांच किए ही बेयरिंग को स्वीकार कर लिया था। बाद में आकार में परिवर्तन के कारण बेयरिंग जीसीएफ की जांच में खरा नहीं उतरा था। जांच एजेंसी की मानें तो संबंधित जर्मन कंपनी बेयरिंग नहीं बनाती है।

चीनी कंपनी से बातचीत का ब्योरा जब्त
सीबीआइ ने सिध सेल्स और चीनी कंपनी के बीच ई-मेल के जरिये हुई बातचीत का ब्योरा भी जब्त कर लिया है। सिध सेल्स ने जर्मन कंपनी के फर्जी लेटर हेड का इस्तेमाल किया था। प्रमाणपत्र भी फर्जी पाए गए हैं। जीसीएफ के अधिकारियों पर बेयरिंग के अलावा दस्तावेजों की पर्याप्त जांच-पड़ताल नहीं करने का भी आरोप लगाया गया है।

चार कंपनियों ने बोली में लिया था हिस्सा
बोफोर्स तोप (155 एमएम) के चार बेयरिंग के लिए जारी निविदा में चार कंपनियों ने हिस्सा लिया था। वर्ष 2013 में सिध सेल्स सिंडिकेट को 35.38 लाख रुपये मूल्य का ठेका दिया गया था। 27 अगस्त, 2014 में इसे बढ़ा कर छह बेयरिंग (53.07 लाख रुपये) कर दिया गया था। कंपनी ने दो-दो करके तीन किश्तों में बेयरिंग मुहैया कराई थी।

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