सरकार की उदासीनता को देख, बांध बनाने को किसान ने बेचा जमीन
एक ओर तो महाराष्ट्र सरकार जल संरक्षण के लिए स्कीम की घोषणा करती है लेकिन जब किसान ने खेती में मदद के लिए अपने दम पर बांध बनाने का निर्णय लिया तो मदद तो दूर, बाधा डालने की कोशिश की।
मुंबई। महाराष्ट्र के अकोला जिले का निवासी 42 वर्षीय किसान ने राज्य सरकार की ओर से कोई मदद नहीं मिलने के कारण स्वयं व गांव के किसानों के लिए बांध निर्माण का सोच अपने खेत का बड़ा टुकड़ा बेच दिया।
मुर्तजापुर तालुका में सांगवी दुर्गवाडा गांव में 30 एकड़ जमीन के मालिक संजय तिडके व उनके भाई ने 55 लाख रुपये में 10 एकड़ जमीन बेच दी। 3 करोड़ लीटर पानी को जमा रखने की क्षमता वाले बांध के निर्माण के लिए बेचे गए जमीन के बारे में तिड़के ने कहा कि खेत का वह हिस्सा बेचा है जो हमेशा बारिश के दौरान बह जाता है। तिड़के अपने खेत में सोयाबीन व कॉटर की खेती करते हैं।
किसान की दर्दभरी कहानी: बेचा प्याज 952 किलो,मिला सिर्फ 1 रुपया
उन्होंने कहा, ‘प्रत्येक मानसून में मेरे खेत का बड़ा हिस्सा बह जाता है और काफी नुकसान उठाना पड़ता है। मैंने कई बार सरकार से बांध बनाने में सहायता मांगी ताकि खेत में आ रहे पानी को रोका जा सके लेकिन उनकी ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। इसलिए मैंने खुद करने का निर्णय लिया।‘
जल संरक्षण के लिए राज्य सरकार ने अनेकों स्कीम की घोषणा की लेकिन इन स्कीम को लागू करने पर अभी तक प्रश्नचिन्ह लगा है।
जिला कृषि विभाग के अधिकारियों ने तिड़के की इस काम में मदद की कि कैसे और किस तरह के बांध का निर्माण होगा। लेकिन अन्य अधिकारियों ने परेशान करना शुरू कर दिया था। वे बांध निर्माण के लिए उपयोग किए जाने वाले रेत को लेकर शिकायत करने लगे और गैरकानूनी तरीके से रेत खरीदने का आरोप लगा दिया। मार्च में बांध निर्माण का कार्य शुरू किया गया था। अगले दो हफ्तें में यह तैयार हो जाएगा और इस मानसून यह पानी को इकट्ठा कर सकेगा।
तिड़के ने कहा, ‘एक ओर महाराष्ट्र सरकार जल संरक्षण प्रोजेक्ट पर करोड़ों रुपये खर्च कर रही है और दूसरी ओर जब किसान अपने दम पर खर्च कर गांव के लिए कुछ कर रहे हैं तो सरकारी अधिकारियों द्वारा मुश्किलें पैदा की जाती हैं।‘
बांध बनने की खबर सुनने के बाद अनेकों किसानों के दल साइट पर आ रहे हैं और सरकारी अधिकारियों द्वारा परेशान किए जाने पर मदद करते हैं। यह जगह काफी पॉपुलर हो गया है।
पड़ोसी तालुका से किसानों के दल के सदस्य संतोष गवई ने कहा, ‘यह अपनी तरह का एक प्रोजेक्ट है। इससे न केवल तिडके बल्कि पूरे गांव को फायदा मिलेगा। किसान बांध के पानी का समुचित उपयोग कर दूसरे अनाज की भी खेती कर सकेंगे।‘