अलविदा की नमाज अदा करते वक्त नम हुई आंखें
रमजान के अंतिम शुक्रवार को नम आंखों से रोजेदारों ने अलविदा की नमाज अदा की। राजधानी की सभी मस्जिदों में नमाज से पहले खुत्बा [भाषण] हुआ। इसमें उलेमाओं, इमाम व धार्मिक गुरुओं ने दुनिया के हालत व अन्य महत्वपूर्ण सामाजिक मुद्दों पर चर्चा की और वतन, मिल्लत व कौम की तरक्की की दुआ मांगी।
नई दिल्ली, जासं। रमजान के अंतिम शुक्रवार को नम आंखों से रोजेदारों ने अलविदा की नमाज अदा की। राजधानी की सभी मस्जिदों में नमाज से पहले खुत्बा [भाषण] हुआ। इसमें उलेमाओं, इमाम व धार्मिक गुरुओं ने दुनिया के हालत व अन्य महत्वपूर्ण सामाजिक मुद्दों पर चर्चा की और वतन, मिल्लत व कौम की तरक्की की दुआ मांगी।
इस्लाम में जुमे का बहुत महत्व है। क्योंकि इस दिन को ही पैगंबर साहब ने दिनों का सरदार कहा था। वहीं, रमजान में अंतिम शुक्रवार को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। इसके चलते शुक्रवार को जामा मस्जिद, फतेहपुरी मस्जिद, मस्जिद शेखान, ख्वाजा निजामुद्दीन मस्जिद, कश्मीरी गेट, आइटीओ स्थित सभी मस्जिदों में नमाज पढ़ने आए मुसलमानों ने नए कपड़े पहने थे। कई जगह नमाज पढ़ रहे लोगों की आंखें नम थीं। छोटे बच्चों को पहला रोजा रखने पर उनकी रोजा कुशाई कराई गई। शाम में इफ्तार के दौरान दस्तरखान पर कई तरह के व्यंजन दिखे।
फतेहपुरी मस्जिद के इमाम डॉ. मुफ्ती मोहम्मद मुकर्रम अहमद ने बताया कि रमजान के आखिरी जुमे को जुमातुल विदा की नमाज अदा की जाती है। इस दौरान नमाज पढ़ते समय मुसलमान की आंखें इसलिए नम हो जाती हैं क्योंकि उस समय वह सच्चे मन से अपने खुदा की प्रार्थना कर रहा होता है। उस समय वह दुनियाभर की बातों से बेखबर अपने खुदा के करीब पहुंच जाता है। नमाजी खुदा से इबादत करता है कि यह उसका अंतिम रमजान न हो। अल्लाह उसके गुनाहों को माफ करे और अगले साल भी उसे रमजान में खुदा की इबादत करने का मौका दे। उन्होंने कहा कि इस दिन अल्लाह ने हमें इस जीवन में जो कुछ भी दिया है, इसके लिए उसका शुक्रिया अदा किया जाता है और फिर लोग ईद की तैयारियों में जुट जाते हैं।