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माल्या व ललित मोदी के प्रत्यर्पण के लिए अब तक ब्रिटेन से संपर्क नहीं

सुषमा ने कहा कि माल्या के मामले में ईडी ने उनके मंत्रालय के पास प्रत्यर्पण अनुरोध भेजा था लेकिन कुछ बदलाव सुझाए गए थे। जवाब अभी नहीं आया है।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Sun, 19 Jun 2016 09:31 PM (IST)Updated: Sun, 19 Jun 2016 09:53 PM (IST)
माल्या व ललित मोदी के प्रत्यर्पण के लिए अब तक ब्रिटेन से संपर्क नहीं

नई दिल्ली(एएनअाई)। भारत ने अब तक विजय माल्या और ललित मोदी के प्रत्यर्पण के लिए ब्रिटेन से संपर्क नहीं किया है क्योंकि प्रवर्तन निदेशालय को विदेश मंत्रालय को कुछ जरुरी दस्तावेज इस संबंध में मुहैया कराने हैं। यह बात विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने आज कही।

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सुषमा ने कहा कि माल्या के मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने उनके मंत्रालय के पास प्रत्यर्पण अनुरोध भेजा था लेकिन कुछ बदलाव सुझाए गए थे और जांच एजेंसी की तरफ से जवाब अभी नहीं आया है। ललित मोदी के मामले में उन्होंने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय ने जरुरी दस्तावेज नहीं भेजे हैं।

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सुषमा ने एक प्रेस कांफ्रेस में कहा कि जब हमें दोनों मामलों में प्रत्यर्पण के लिए अनुरोध मिलेंगे तो हम ब्रिटेन को भेजेंगे। उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती संप्रग सरकार ने मोदी के खिलाफ सिर्फ स्वदेश भेजने की कार्यवाही करने की मांग की थी लेकिन राजग सरकार उनके प्रत्यर्पण की मांग कर रही है। माल्या और मोदी दोनों की प्रवर्तन निदेशालय को धन शोधन मामले की जांच में तलाश है और एजेंसी ने इंटरपोल से दोनों के खिलाफ वैश्विक गिरफ्तारी वारंट जारी करने की भी मांग की है।

ब्रिटेन में भारत के उच्चायुक्त नवतेज सरना के उस पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में हिस्सा लेने जिसमें माल्या भी दर्शकों में मौजूद थे, को लेकर हुए विवाद पर सुषमा ने कहा कि उच्चायुक्त का कोई दोष नहीं था। सुषमा ने कहा कि न तो आयोजक लंदन स्कूल ऑफ इकॉनोमिक्स (एलएसई) और न ही भारतीय उच्चायोग ने उस कार्यक्रम में माल्या को बुलाया था, जिसमें सोशलाइट सुहेल सेठ की पुस्तक का विमोचन हुआ।

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उन्होंने कहा कि अगर सुहेल सेठ ने किसी को आमंत्रित किया तो उच्चायुक्त को नहीं मालूम। दो तरह का न्योता भेजा गया था। पहला पुस्तक के विमोचन के लिए और दूसरा स्वागत के लिए उच्चायुक्त द्वारा।' उन्होंने कहा कि पहला न्योता एलएसई ने भेजा था। एलएसई ने औपचारिक तौर पर हमें पत्र लिखा और उन्होंने माल्या को न्योता नहीं भेजा था लेकिन यह भी सही है कि खुला न्योता भी था क्योंकि उन्हें (एलएसई) हॉल में 400 लोगों को भरना था और गर्मी में छात्र छुट्टियों पर चले जाते हैं। इसलिए, खुले न्योते के माध्यम से कोई भी आ सकता है।

स्वराज ने कहा कि स्वागत के लिए उच्चायुक्त की तरफ से भी माल्या को न्योता नहीं भेजा गया था। उन्होंने कहा कि एलएसई ने उन्हें कोई अधिकृत न्योता नहीं भेजा था और न ही उच्चायुक्त की तरफ से भेजा गया था। आप जानते हैं कि जैसे ही उच्चायुक्त (सरना) ने माल्या को वहां मौजूद देखा, वह पांच मिनट में वहां से चले गए।उन्होंने कहा कि मैं नहीं जानती कि क्यों इसे मुद्दा बनाया जा रहा है। जब हम आमंत्रित लोगों की सूची और उच्चायुक्त के आचरण को देखते हैं तो मुद्दा नहीं रह जाता है।

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