फसल ऋण के लिए हो अतिरिक्त आवंटन: संसदीय समिति
देश में किसानों की बदहाली को लेकर मची हाय-तौबा के बीच एक संसदीय समिति ने उनकी सुध ली है। समिति ने सरकार से फसल ऋण पर ब्याज सब्सिडी के लिए वर्तमान वित्त वर्ष में पर्याप्त अतिरिक्त आवंटन करने की सिफारिश की है।
नई दिल्ली। देश में किसानों की बदहाली को लेकर मची हाय-तौबा के बीच एक संसदीय समिति ने उनकी सुध ली है। समिति ने सरकार से फसल ऋण पर ब्याज सब्सिडी के लिए वर्तमान वित्त वर्ष में पर्याप्त अतिरिक्त आवंटन करने की सिफारिश की है।
एम वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता वाली वित्त मंत्रालय की स्थायी समिति ने किसानों को सामाजिक सुरक्षा समेत पूर्ण वित्तीय संरक्षण देने के लिए एक सुविधाजनक चाक-चौबंद तंत्र और स्कीम बनाने का भी सुझाव दिया है। समिति की रिपोर्ट शुक्रवार को संसद के पटल पर रखी गई। 2015-16 के बजट अनुमान में फसल कर्ज पर ब्याज सब्सिडी के लिए 13,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है।
समिति कहना है कि यह आवंटन कम है, खासकर ऐसे समय में जब बेमौसम बारिश से काफी फसलें बर्बाद हो गई हैं। मंत्रालय ने स्वीकार किया कि करीब 15,000 करोड़ रुपये के अतिरिक्त प्रावधान की जरूरत हो सकती है। वैसे, यह वास्तविक नुकसान के दावे पर निर्भर करता है।
समिति ने मंत्रालय से इस मद में पर्याप्त अतिरिक्त आवंटन करने को कहा है ताकि प्रकृति से किसानों को हुए नुकसान की भरपायी की जा सके। खासकर इस वर्ष जब प्रकृति ने किसानों के प्रति बेरुखी दिखाई है। हाल ही में रिजर्व बैंक ने भी कहा था कि किसानों की ब्याज सब्सिडी की नई योजना पर काम चल रहा है। हालांकि इसमें कुछ समय लग सकता है।
फसल बीमा में भी खामियां
रिपोर्ट में किसानों को मिलने वाली फसल बीमा की समस्या का भी प्रमुख रूप से उल्लेख किया गया है। इसमें कहा गया है कि मौजूदा मौसम और उपज आधारित बीमा व्यवस्था में केवल इलाके पर आकलन किया जाता है न कि व्यक्तिगत इकाई के तौर पर। यह तरीका किसानों की फसल केनुकसान का निदान करने में सफल नहीं जान पड़ता है।