Move to Jagran APP

...भारत के पास एक ऐसा विकल्प जो पाक को सबक सिखाने के लिए है पर्याप्त

जानकारों का मानना है कि पाकिस्तान पर लगाम लगाने के लिए सिंधु नदी का भारत सरकार बेहतर इस्तेमाल कर सकती है।

By Lalit RaiEdited By: Published: Sat, 24 Sep 2016 11:10 AM (IST)Updated: Sat, 24 Sep 2016 01:17 PM (IST)
...भारत के पास एक ऐसा विकल्प जो पाक को सबक सिखाने के लिए है पर्याप्त

नई दिल्ली। अब इसमें संदेह नहीं है कि पाक बेनकाब हो चुका है।अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी पाक की पोल खुल चुकी है। पाकिस्तान अपनी सफाई में आतंकवाद से खुद को पीड़ित बताता है लेकिन अंतरराष्ट्रीय समुदाय अब पाकिस्तान की दलील सुनने को तैयार नहीं है। उड़ी हमले के बाद केंद्र सरकार से जनता अपील कर रही है कि अब समय आ गया है, जब पाकिस्तान को बयानों से नहीं बल्कि ताकत से जवाब देना चाहिए।

loksabha election banner

पाक को सबक सिखाने पर बंटी राय

पाक को जवाब देने के लिए विकल्पों को लेकर जानकारों की अलग-अलग राय है।जहां कुछ जानकारों का मानना है कि पाकिस्तान के खिलाफ निर्णायक जंग लड़ने की जरुरत है तो कुछ विशेषज्ञों की सोच है कि पाक अधिकृत कश्मीर में आतंकी ठिकानों को नेस्तनाबूद करने के लिए सर्जिकल हमला होना चाहिए।लेकिन इन सबके विपरीत भी दूसरी राय ये है कि पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए सरकार सिंधु नदी समझौते पर गौर करना चाहिए। ये अपने आप में मुकम्मल हथियार है जिसके जरिए बिना खून बहे या बहाये पाकिस्तान को उसकी हद बतायी जा सकती है। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था की जीवन रेखा मानी जाने वाली सिंधु के जरिए हम पाकिस्तान के नापाक इरादों पर लगाम लगा सकते हैं।

क्या है सिंधु समझौता, पढ़ें भारत-पाकिस्तान के बीच इसकी अहमियत

सिंधु जल आयोग की बैठक निलंबित करे सरकार

इंस्टीट्यूट ऑफ डिफेंस स्टडीज एंड एनलसिस के उत्तम सिन्हा का कहना है कि सिंधु जल समझौते को रद करना बेहतरीन विकल्प नहीं होगा। इस तरह के कदम की ना तो जरूरत है और ना ही ये व्यवहारिक है। भारत सरकार को सिंधु जल आयोग की बैठकों को निलंबित कर देना चाहिए। इसके अलावा सिंधु नदी की पश्चिमी शाखाओं वाली नदियों के इस्तेमाल पर ध्यान देने की जरूरत है। ऐसा करने पर भारत पर सिंधु समझौते को तोड़ने या रद करने की तोहमत भी नहीं लगेगी।

1960 में सिंधु जल समझौते के मुताबिक सिंधु के पूर्वी छोर की नदियों ( रावी, व्यास और सतलज) का इस्तेमाल भारत को करना था। जबकि पश्चिमी छोर की नदियों के ( सिंधु, झेलम, चेनाब) पानी को निर्बाध तौर पर पाकिस्तान को देना था। हालांकि भारत को इन नदियों के पानी को पीने के साथ-साथ सिंचाई और हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट के निर्माण करने का अधिकार है। भारत सरकार संधि की अवहेलना किए बगैर देशहित में ऐसा कर सकती है।

SANDRP की राय

आइडीएसए द्वारा सुझाए इस विचार की साउथ एशियन नेटवर्क ऑन डैम रिवर एंड पीपल(SANDRP) ने हामी भरी है।(SANDRP) से जुड़े संदीप ठक्कर के मुताबिक पश्चिमी छोर की नदियों 3.6 मिलियन एकड़ फीट पानी को भारत स्टोर कर सकता है। लेकिन भारत सरकार की तरफ पिछले 46 साल से किसी तरह का कदम नहीं उठाया गया। संदीप ठक्कर ने बताया कि सिंधु जल समझौते को तोड़ने से किसी तरह का फायदा नहीं होगा। बल्कि पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत के खिलाफ आवाज उठाएगा।

SANDRP के मुताबिक इसके अलावा भारत सरकार के पास एक और विकल्प ये है कि वो अफगानिस्तान सरकार की मदद करे ताकि वो काबुल नदी पर हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट का निर्माण कर सके। गौरतलब है कि काबुल नदी इंडस बेसिन में ही बहती है।

जम्मू-कश्मीर के उपमुख्यमंत्री निर्मल सिंह ने कहा कि सिंधु समझौते में पाकिस्तान को जरूरत से ज्यादा रियायतें मिली हैं। सरकार को अब इसकी समीक्षा करनी चाहिए।

पाकिस्तान पर बढ़ेगा दबाव, भारत ने दिए सिंधु जल समझौता तोड़ने के संकेत

7 लोक कल्याण मार्ग पर पीएम मोदी-सेना प्रमुखों के बीच मंथन

उड़ी हमले के बाद देश की सीमाओं पर सुरक्षा इंतजामों के लिए भारतीय थल सेना, वायु सेना और नौसेना के प्रमुखों ने पीएम मोदी से उनके आवास पर मुलाकात की।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.