अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत को आगे ले जाने वाले यूआर राव नहीं रहे
85 साल की उम्र में इसरो के पूर्व प्रमुख ने ली अंतिम सांस, भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में है अप्रतिम योगदान..
बेंगलुरु, प्रेट्र। भारत के पहले सेटेलाइट आर्यभट्ट की उड़ान की कल्पना को साकार करने वाले महान वैज्ञानिक यूआर राव का सोमवार को निधन हो गया। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व प्रमुख राव ने 85 साल की उम्र में अपने निवास स्थान पर सुबह तीन बजे के करीब अंतिम सांस ली।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राव की मौत पर दुख व्यक्त किया है। मोदी ने ट्वीट किया, 'महान वैज्ञानिक प्रोफेसर यूआर राव के निधन से दुखी हूं। भारत के अंतरिक्ष अभियानों में उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता।'
मद्रास यूनिवर्सिटी से स्नातक और बनारस ¨हदू विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर की पढ़ाई करने वाले प्रोफेसर राव ने गुजरात यूनिवर्सिटी से पीएचडी की थी। उसके बाद उन्होंने भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रमों के जनक कहे जाने वाले विक्रम साराभाई के अधीन कॉस्मिक किरण से जुड़े वैज्ञानिक के रूप में कॅरियर की शुरुआत की। इसके अतिरिक्त वे अमेरिका के मैसाच्यूसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से फैकल्टी मेंबर और यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास से बतौर सहायक प्रोफेसर भी जुड़े थे। 1984 से 1994 तक उन्होंने इसरो की कमान संभाली। इसरो के चेयरमैन का पद संभालने के बाद उन्होंने रॉकेट तकनीक के क्षेत्र में विकास को गति दी। उन्हीं के नेतृत्व में एएसएलवी और पीएसएलवी का सफल प्रक्षेपण संभव हुआ। उन्होंने जीएसएलवी और क्रायोजेनिक तकनीक के विकास पर भी बल दिया।
उपलब्धियां
1975 में आर्यभट्ट सेटेलाइट की लॉन्चिंग से लेकर चंद्रयान और मंगलयान तक भारत के लगभग सभी बड़े अभियानों में राव की अहम भूमिका रही थी। प्रस्तावित आदित्य सौर मिशन में भी उनकी सक्रिय भूमिका रही। भास्कर, एप्पल, रोहिणी, इनसैट-1, इनसैट-2, आइआरएस-1ए, आइआरएस-1बी और इस श्रेणी के अन्य उपग्रहों का सफल प्रक्षेपण प्रोफेसर राव की उपलब्धियों में शामिल रहा।
सम्मान
भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में अप्रतिम योगदान के लिए प्रोफेसर राव को 1976 में पद्म भूषण और 2017 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था। अमेरिका के सम्मानित 'सेटेलाइट हॉल ऑफ फेम' में जगह पाने वाले राव पहले भारतीय अंतरिक्ष वैज्ञानिक थे।