Move to Jagran APP

इस गांव के हर परिवार में है ‘इंदू इज्जत घर’

दैनिक जागरण के ‘छोड़ो जंगल जाना अभियान’ से प्रेरित होकर विनोद की पत्नी इंद्रवती स्वच्छता की अलख जगाने आगे आई थीं।

By Srishti VermaEdited By: Published: Wed, 24 May 2017 09:04 AM (IST)Updated: Wed, 24 May 2017 09:04 AM (IST)
इस गांव के हर परिवार में है ‘इंदू इज्जत घर’
इस गांव के हर परिवार में है ‘इंदू इज्जत घर’

बदायुं (ब्युरो)। खुले में शौच की स्थिति से महिलाओं को कितनी शर्मिंदगी झेलनी पड़ती है यह किसी को बताने की जरूरत नहीं है। इसलिए इंद्रवती कैंसर से जंग लड़ते हुए भी गांव को खुले में शौच से मुक्त करने के लिए संघर्ष करती रहीं। उनकी मुहिम को अधिकारियों और महिलाओं का साथ मिला तो गांव की तस्वीर बदल गई। नतीजतन, रसूलपुर बेला गांव में आज सभी 381 मकानों में शौचालय है। यह अलग बात है कि अपनी इस सफलता को देखने के लिए आज वह इस दुनिया में नहीं हैं।

loksabha election banner

इंद्रवती के इस योगदान को देखते हुए ग्राम पंचायत में प्रस्ताव पारित कर हर घर में बने शौचालयों का नाम ‘इंदू इज्जत घर’ रखा। दैनिक जागरण के ‘छोड़ो जंगल जाना अभियान’ से प्रेरित होकर विनोद की पत्नी इंद्रवती स्वच्छता की अलख जगाने आगे आई थीं। उन्होंने महिलाओं को होने वाली परेशानी को जड़ से मिटाने की ठानी थी। ब्लड कैंसर से जंग लड़ते हुए वह यह लड़ाई लड़ती रहीं। धीरे-धीरे गांव की अन्य महिलाएं उनके साथ जुड़ती गईं।

इंद्रवती बेशक स्वच्छता की जंग तो जीत गईं, लेकिन कैंसर के आगे हार गईं। डेढ़ माह पहले उनकी मौत हो गई। एडीओ पंचायत शशिकांत शर्मा बताते हैं कि महिलाओं में जागरूकता बढ़ने के बाद यहां तेजी से इस दिशा में कार्य हुआ। ग्राम प्रधान जसपाल बताते हैं कि गांव को ओडीएफ कराने में वैसे तो गांव के सभी लोगों और प्रशासन का सहयोग रहा, लेकिन सही मायने में इंद्रवती ने ही महिलाओं को जागरूककरने में अहम भूमिका निभाई।

-कमलेश शर्मा

यह भी पढ़ें : दिल्ली में सामाजिक समरसता की पाठशाला


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.