इस गांव के हर परिवार में है ‘इंदू इज्जत घर’
दैनिक जागरण के ‘छोड़ो जंगल जाना अभियान’ से प्रेरित होकर विनोद की पत्नी इंद्रवती स्वच्छता की अलख जगाने आगे आई थीं।
बदायुं (ब्युरो)। खुले में शौच की स्थिति से महिलाओं को कितनी शर्मिंदगी झेलनी पड़ती है यह किसी को बताने की जरूरत नहीं है। इसलिए इंद्रवती कैंसर से जंग लड़ते हुए भी गांव को खुले में शौच से मुक्त करने के लिए संघर्ष करती रहीं। उनकी मुहिम को अधिकारियों और महिलाओं का साथ मिला तो गांव की तस्वीर बदल गई। नतीजतन, रसूलपुर बेला गांव में आज सभी 381 मकानों में शौचालय है। यह अलग बात है कि अपनी इस सफलता को देखने के लिए आज वह इस दुनिया में नहीं हैं।
इंद्रवती के इस योगदान को देखते हुए ग्राम पंचायत में प्रस्ताव पारित कर हर घर में बने शौचालयों का नाम ‘इंदू इज्जत घर’ रखा। दैनिक जागरण के ‘छोड़ो जंगल जाना अभियान’ से प्रेरित होकर विनोद की पत्नी इंद्रवती स्वच्छता की अलख जगाने आगे आई थीं। उन्होंने महिलाओं को होने वाली परेशानी को जड़ से मिटाने की ठानी थी। ब्लड कैंसर से जंग लड़ते हुए वह यह लड़ाई लड़ती रहीं। धीरे-धीरे गांव की अन्य महिलाएं उनके साथ जुड़ती गईं।
इंद्रवती बेशक स्वच्छता की जंग तो जीत गईं, लेकिन कैंसर के आगे हार गईं। डेढ़ माह पहले उनकी मौत हो गई। एडीओ पंचायत शशिकांत शर्मा बताते हैं कि महिलाओं में जागरूकता बढ़ने के बाद यहां तेजी से इस दिशा में कार्य हुआ। ग्राम प्रधान जसपाल बताते हैं कि गांव को ओडीएफ कराने में वैसे तो गांव के सभी लोगों और प्रशासन का सहयोग रहा, लेकिन सही मायने में इंद्रवती ने ही महिलाओं को जागरूककरने में अहम भूमिका निभाई।
-कमलेश शर्मा
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