भारी पैदावार के अनुमान ने बढ़ाईं भंडारण की चिंता, गेहूं की पैदावार साढ़े 10 करोड़ टन से अधिक का अनुमान
सरकार ने रेलवे के खाली पड़े कुछ गोदामों और शेड के उपयोग की बात कही लेकिन विशेषज्ञों ने उसे खारिज कर दिया। कहा गया कि इन गोदामों का उपयोग अनाज भंडारण के काबिल नहीं है।
सुरेंद्र प्रसाद सिंह, नई दिल्ली। चालू रबी सीजन में गेहूं समेत अन्य फसलों की भारी पैदावार के अनुमान के बीच खाद्यान्न भंडारण की गंभीर चुनौती होगी, जिसे लेकर सरकार के माथे पर अभी से बल पड़ने लगे हैं। रबी सीजन की खरीद शुरु होने के दिन तक भंडारण क्षमता का तीन चौथाई हिस्सा पुराने अनाज से भरा हुआ होगा। इसी के मद्देनजर खाद्यान्न भंडारण के अन्य विकल्पों पर विचार किया जा रहा है। लेकिन अब तक सुझाये गये उपायों पर कोई फैसला नहीं हो पा रहा है।
खाद्यान्न प्रबंधन की इन्हीं चुनौतियों को लेकर केंद्रीय खाद्य मंत्रालय लगातार अपनी चिंताओं से प्रधानमंत्री कार्यालय को अवगत करा रहा है। खुले बाजार में गेहूं की बिक्री के लिए निर्धारित शर्तों में ढील देने का प्रस्ताव भी नाकाफी माना जा रहा है। सरकार ने रेलवे के खाली पड़े कुछ गोदामों और शेड के उपयोग की बात कही, लेकिन विशेषज्ञों ने उसे खारिज कर दिया। कहा गया कि इन गोदामों का उपयोग अनाज भंडारण के काबिल नहीं है। इसी तरह अनाज के मूल्य में लगभग डेढ़ रुपये प्रति किलो की कटौती कर खुले बाजार में बेचने के मसौदे पर भी सहमति नहीं बनी।
एक जनवरी 2020 को सेंट्रल पूल में कुल 5.65 करोड़ टन अनाज था। अगले तीन महीने में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के लिए कुल लगभग 75 लाख टन अनाज की जरूरत होगी। इसे घटाने के बावजूद पुराने अनाज की मात्रा बहुत होगी। दरअसल, सरकार के पास बफर स्टॉक के मानक रूप में एक जनवरी को कुल 2.14 करोड़ टन अनाज होना जरूरी होता है। इसमें 1.64 करोड़ टन आपरेशन स्टॉक और 50 लाख टन स्ट्रेटजिक स्टॉक होना चाहिए।
इसके विपरीत केंद्रीय एक जनवरी 2020 को पूल में केंद्रीय एजेंसियों के पास 3.19 करोड़ टन और 2.45 करोड़ टन राज्य एजेंसियों के पास है। पूल के खाद्यान्न के इस स्टॉक में 2.37 करोड़ टन चावल और 3.27 करोड़ टन गेहूं का स्टॉक है। इस तरह केंद्र व राज्य एजेंसियों के पास भंडारण की सुविधा का अभाव उनकी गेहूं खरीद में बाधा पैदा कर सकता है। खाद्य मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक ऐसी दशा में अस्थाई भंडारण का बंदोबस्त करना होगा, जो खुले में तिरपाल से ढक कर किया जा सकता है।
सबसे ज्यादा मुश्किलें गेहूं उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब और मध्य प्रदेश में केंद्रीय पूल का अनाज पड़ा हुआ है। उत्तरी राज्यों में कुल 3.54 करोड़ टन अनाज पड़ा हुआ है। हरियाणा में 1.04 करोड़ टन, पंजाब में 1.95 करोड़ टन और मध्य प्रदेश 77 लाख टन पुराना अनाज पड़ा है।