एस्सार ऑयल सौदे से सुरक्षा एजेंसियां चिंतित
एजेंसियां इस बात से परेशान हैं कि इसके बंदरगाह पाकिस्तान और अन्य रक्षा संपत्तियों के करीब हैं।
नई दिल्ली, प्रेट्र। केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों ने 82,000 करोड़ रुपये के एस्सार ऑयल का अधिग्रहण एक रूसी कंसोर्टियम (अल्पकालिक संगठन) के करने पर चिंता जताई है। एजेंसियां इस बात से परेशान हैं कि इसके बंदरगाह पाकिस्तान और अन्य रक्षा संपत्तियों के करीब हैं।
एक सरकारी अधिकारी ने अपना नाम गुप्त रखने की शर्त पर बताया कि एजेंसियों ने इस समझौते पर अपनी सुरक्षा संबंधी चिंताओं के बारे में गृह मंत्रालय को सूचित किया है।
इस मुद्दे पर एक अंतिम निर्णय प्रधानमंत्री कार्यालय लेगा, क्योंकि देश के सबसे बड़े विदेशी निवेशों में से एक माना जाने वाला सौदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन की उपस्थिति पर हस्ताक्षर किए गए थे। पिछले साल गोवा में आयोजित ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में अधिकारी ने कहा।
गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया कि प्रस्तावित विदेशी टेकओवर को सुरक्षा मंजूरी देने का फैसला अभी किया जाना बाकी है। यह पूछने पर कि क्या गुजरात का बंदरगाह इस सौदे के रास्ते में आ रहा है, प्रवक्ता ने कहा, 'यह मामला अभी भी चल रहा है।' हालांकि, एस्सार के प्रवक्ता ने कहा कि एस्सार ऑयल के लेन-देन के लिए केंद्र सरकार से सभी आवश्यक मंजूरी उपलब्ध है। पोर्ट के लिए समझौता ज्ञापन (गृह मंत्रालय) की मंजूरी से संबंधित प्रश्न का मौजूदा एस्सार-रोसेनफ्ट-ट्रैफीगुर-यूसीपी समझौते से कोई संबंध नहीं है।
सरकारी नियमों के अनुसार देश में किसी भी विदेशी निवेश के लिए अनिवार्य रूप से गृह मंत्रालय से सुरक्षा मंजूरी लेने पड़ती है। एस्सार ऑयल सौदे में गुजरात के वडिनार स्थित 200 लाख टन की रिफायनरी भी शामिल है। इसके लिए रूसी कंसोर्टियम 10.9 अरब अमेरिकी डॉलर (करीब 70 हजार करोड़ रुपये) अदा करने होंगे।
दरअसल, रूसी कंसोर्टियम रोजनेफ्ट ऑयल कंपनी का हिस्सा है। कमोडिटी ट्रेडर ट्राफिगुरा और निजी निवेशक समूह यूनाइटेड कैपिटल फामर्स को गुजरात का वादिनार बंदरगाह खरीदने के लिए (करीब 12 हजार करोड़ रुपये) देने होंगे। यह बंदरगाह 58 लाख टन कच्चा तेल हर साल व्यवस्था करता है।
यह भी पढ़ेंः US ने ऐसे बढ़ाई पाकिस्तान की मुसीबत और भारत की हुई बल्ले-बल्ले
यह भी पढ़ेंः कल होगा राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान, जानें क्या है पूरी प्रकिया