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संविधान की प्रस्‍तावना से हटे धर्मनिरपेक्षता और समाजवादः शिवसेना

गणतंत्र दिवस के अवसर पर जारी सरकारी विज्ञापनों से धर्मनिरपेक्ष और समाजवादी शब्‍द गायब होने का विवाद अभी थमा भी नहीं था कि केंद्र की राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार की अहम सहयोगी शिव सेना ने बुधवार को इन दोनों शब्‍दों को संविधान से हटाये जाने की मांग कर दी

By Murari sharanEdited By: Published: Wed, 28 Jan 2015 03:39 PM (IST)Updated: Wed, 28 Jan 2015 03:57 PM (IST)
संविधान की प्रस्‍तावना से हटे धर्मनिरपेक्षता और समाजवादः शिवसेना

मुंबई। गणतंत्र दिवस के अवसर पर जारी सरकारी विज्ञापनों से धर्मनिरपेक्ष और समाजवादी शब्द गायब होने का विवाद अभी थमा भी नहीं था कि केंद्र की राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार की अहम सहयोगी शिव सेना ने बुधवार को इन दोनों शब्दों को संविधान से हटाये जाने की मांग कर दी है। गणतंत्र दिवस के अवसर पर आए एक विज्ञापन का सरकार ने जहां मंगलवार को बचाव किया, वहीं शिव सेना के वरिष्ठ नेता संजय राउत ने कहा कि संविधान के पुराने प्रस्तावना को छापना गलती है तो इसे रोज छापना चाहिए। उन्होंने कहा, भारत सेक्यूलर देश नहीं, बल्कि एक हिंदू राष्ट्र है।

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राउत ने कहा कि ये दोनों शब्द प्रस्तावना में कभी नहीं थे। सरकार को इन दोनों शब्दों को प्रस्तावना से हटा देना चाहिए। वहीं, विज्ञान के सामने आने के बाद विपक्ष के निशाने पर आई केद्र सरकार का बचाव करते हुए केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण राज्यमंत्री राज्यवर्घन राठौड़ ने कहा कि हमने प्रस्तावना का मौलिक रूप इस्तेमाल किया था। इसमें बाद में संशोधन हुआ था।

यह विज्ञापन सूचना और प्रसारण मंत्रालय की ओर से जारी किया गया था। गौरतलब है कि विज्ञापन में 42वें संशोधन से पहले के प्रस्तावना का इस्तेमाल किया गया। 42वें संशोधन से पहले प्रस्तावना में सेक्यूलर और सोशलिस्ट शब्द शामिल नहीं थे।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मैं आपको आश्वसत करता हूं की हम अपना 66वां गणतंत्र दिवस मना रहे हैं। साथ ही संविधान के प्रस्तावना की भी वर्षगांठ मना रहे हैं जो उस समय बनाया गया था। विज्ञापन में जिस चित्र का प्रयोग किया गया है, वह हमारे पहले प्रस्तावना का है जिसे हमारे महान नेताओं ने बनाया था। राठौड़ ने आगे कहा कि सेक्यूलर और सोशलिस्ट शब्दों को 1976 में हुए संविधान के 42वे संशोधन के बाद जोड़ा गया था।

पढ़ें: संविधान की प्रस्तावना से हटाए ‘सेकुलर, सोशलिस्ट’ शब्द!


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