EPFO Interest: ...तो 4.60 करोड़ कर्मचारियों को होगा फायदा, जानिए- कैसे तय होता है ईपीएफ ब्याज दर
EPFO वित्त मंत्रालय चाहता है कि वित्त वर्ष 2018-19 के लिए ईपीएफ की ब्याज दर घटाकर 8.65 फीसद से कम कर दी जाए लेकिन श्रम मंत्रालय ने यह मांग मानने से इनकार कर दिया है।
नई दिल्ली,एजेंसी। कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) पर ब्याज दर को लेकर वित्त मंत्रालय और श्रम मंत्रालय आमने-सामने हैं। वित्त मंत्रालय चाहता है कि वित्त वर्ष 2018-19 के लिए ईपीएफ की ब्याज दर घटाकर 8.65 फीसद से कम कर दी जाए, लेकिन श्रम मंत्रालय ने यह मांग मानने से इनकार कर दिया है।
...तो 4.60 करोड़ कर्मचारियों को होगा फायदा
यदि श्रम मंत्रालय ईपीएफ पर ब्याज दर नहीं घटाता है तो इससे करीब 4.60 करोड़ कर्मचारियों को फायदा होगा। मामले की जानकारी रखने वाले अधिकारियों ने बताया कि श्रम मंत्रालय के पास 3,150 करोड़ रुपये का पर्याप्त फंड है। कारण यह है कि मंत्रालय को एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) में निवेश से ज्यादा रिटर्न हासिल हुआ है।
एेसे तय होती है EPFO की ब्याद दर
ईपीएफ पर ब्याज दर कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) का सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज (सीबीटी) तय करता है। निवेश से मिले रिटर्न के आंकलन के बाद ब्याज दर तय की जाती है। इस मामले में वित्त मंत्रालय की मांग न मानने की सबसे बड़ी वजह यह है कि यह ईपीएफओ की जिम्मेदारी है कि निवेश से जो रिटर्न मिले उसका लाभ सही तरीके से सब्सक्राइबरों को दिया जाए। श्रम मंत्री सीबीटी का चेयरमैन होता है। इसके सदस्यों में केंद्र और राज्य सरकार के अधिकारियों के साथ ट्रेड यूनियन और औद्योगिक संगठन भी शामिल हैं।
वित्त मंत्रालय को मंजूर नही यह प्रस्ताव
श्रम मंत्रालय के अधीन आने वाले EPFO ने लोकसभा चुनाव से पहले मार्च 2019 में समाप्त वित्त वर्ष के लिए ब्याज दर 8.55 फीसद से बढ़ाकर 8.65 फीसद करने का ऐलान किया था। लेकिन वित्त मंत्रालय श्रम मंत्रालय के इस प्रस्ताव के विरोध में है। जानकारों के मुताबिक वित्त मंत्रालय को इस बात की चिंता है कि पीएफ पर अधिक रिटर्न देने पर बैंकों के लिए आकर्षक ब्याज दरें देना संभव नहीं होगा, जिसका असर अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा। इसके अलावा वित्त मंत्रालय यह भी चाहता है कि EPFO अपने पास फंड बचा के रखे। जबकि, सूत्रों के मुताबिक बढ़ी हुई ब्याज दर पर रिटर्न देने के बाद भी फंड के पास 150 करोड़ रुपये अतिरिक्त बचेंगे आपको बता दें कि लेबर यूनियंस भी ईपीएफओ के फैसले वापस लेने के पक्ष में नहीं हैं।
बैंकों को EPFO की ऊंची ब्याज दरों से डर
EPFO के ज्यादा ब्याज को लेकर भारतीय बैंकों को डर है कि पीएफ जैसी छोटी बचत योजनाओं और ईपीएफओ की ओर से ऊंची ब्याज दर दिए जाने के कारण लोग उनके पैसे नहीं जमा करेंगे बल्कि वो इस बचत को EPFO में ही रखकर ज्यादा से ज्यादा ब्याज पाने की कोशिश करेंगे। आपको बता दें कि वित्त वर्ष 2017-2018 में EPFO ने पीएफ पर 8.55 फीसद की दर से ब्याज दिया था।