हर शादी के लिए पूरा गांव जमाता है दही
सभी ग्रामवासी उस पात्र में दही जमाते हैं और विवाह संध्या पर पूरे गांव से सैकड़ों पात्रों में भरी दही संबंधित व्यक्ति के यहां पहुंच जाती है।
जागरण संवाददाता, बलिया : यह बलिया का नरहीं गांव है। किसी के भी घर शादी हो, वह पूरे गांव में एक-एक मिट्टी का पात्र बांट आता है। पात्र पर नाम व विवाह तिथि अंकित होती है। अब सभी ग्रामवासी उस पात्र में दही जमाते हैं और विवाह संध्या पर पूरे गांव से सैकड़ों पात्रों में भरी दही संबंधित व्यक्ति के यहां पहुंच जाती है। लाख दुश्मनी हो, दही जरूर पहुंचती है, बिना आना-पाई लिए। दरकते सामाजिक ताने बाने को बांधे रखने की ऐसी बेमिसाल परंपराओं के चलते ही आज भी भारत के गांव अपनी सोंधी महक सहेज सके हैं। ग्रामसभा नरहीं में यह परंपरा लोगों को एक-दूसरे से जोड़े हुए है। किसी भी मांगलिक आयोजन से पूर्व संबंधित व्यक्ति द्वारा दही जमाने के लिए गांव में मिट्टी का पात्र बांटा जाता है।
आयोजन दिवस की संध्या तक सभी घरों से दही जमे पात्र उसके यहां पहुंच जाते हैं। आज जहां किसी आयोजन में दही खिलाने की परंपरा समाप्त सी होती जा रही है वहीं नरहीं में दही की मानों नदी बह जाती है। गांव के अवकाश प्राप्त प्रवक्ता अमरदेव राय, पूर्व प्रधानाचार्य अनंत राय दादा आदि बताते हैं कि परंपरा को अस्तित्व में लाने के पीछे उद्देश्य यही था कि गांव के लोगों में एकजुटता व भाईचारा कायम रहे। जिसके घर आयोजन होता है, उसकी मदद भी हो जाती है। नरहीं ग्राम की प्रधान कौशल्या देवी कहती हैं -साल, सदियां बीतती रहती हैं, परिस्थितियां बनती-बिगड़ती रहती हैं मगर समाज को बांधे रखने के लिए परंपराओं को जिंदा रखना बहुत जरूरी है। नरहीं की दही परंपरा ऐसी ही है जिसने गांव में भाईचारे की भावना को जिंदा रखा है।
पात्र पर लिखा जाता नाम व तिथि : जिसके घर आयोजन रहता है, उस परिवार के लोग आयोजन से एक सप्ताह पूर्व सबके यहां पात्र पहुंचा देते हैं। पात्र पर नाम व तारीख लिखी होती है ताकि एक ही दिन यदि दो-तीन आयोजन हों तो पात्रों की अदला बदली न हो जाए। आयोजन के दिन दही से भरा पात्र संबंधित व्यक्ति के घर पहुंचा दिया जाता है।
मनमुटाव का भी नहीं पड़ता असर : नरहीं गांव में यह परंपरा इतनी समृद्ध है कि लोगों के आपसी मनमुटाव का भी इसपर असर नहीं पड़ता। अनुकरणीय है कि इस परंपरा में वे लोग भी शामिल होते हैं जिनका सामान्य दिनों में एक दूसरे के यहां आना-जाना नहीं होता। अन्य दिनों में आपस में बात भले न हो हो पर आयोजन में दही का पात्रपहुंचता जरूर है।
-दुश्मनी अपनी जगह मगर दही जरूर भेजते है
-पात्र पर नाम व विवाह तिथि अंकित होती है
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