विपक्ष के हमलों पर चुनाव आयोग ने बताई गुजरात चुनाव की घोषणा में देरी की वजह
मुख्य चुनाव आयुक्त एके जोति ने कहा है कि दलों को बोलने का अधिकार है, लेकिन गुजरात चुनावों की घोषणा के पीछे राज्य सरकार के अधिकारियों की व्यस्तता बड़ी वजह है।
नई दिल्ली, प्रेट्र: कांग्रेस की अगुआई में विपक्ष के हमलों पर मुख्य चुनाव आयुक्त एके जोति ने कहा है कि दलों को बोलने का अधिकार है, लेकिन गुजरात चुनावों की घोषणा के पीछे राज्य सरकार के अधिकारियों की व्यस्तता बड़ी वजह है। राज्य के कई हिस्सों में अभी तक बाढ़ राहत का काम चल रहा है। वह सारे व्यस्त हैं, लिहाजा अभी चुनाव का बोझ उन पर उचित नहीं होता।
एक समाचार एजेंसी से उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में जल्द चुनाव कराने का फैसला राज्य प्रशासन की रिपोर्ट की वजह से लिया गया। वहां नवंबर के बाद के महीनों में कुछ जिलों के हालात बदतर हो जाते हैं। बर्फबारी की वजह से वहां जनजीवन अस्त व्यस्त रहता है। चुनाव देरी से होता तो लोगों को परेशानी आती। कांग्रेस के आरोप पर उनका कहना था कि इससे कार्यप्रणाली पर असर नहीं पड़ता। आयोग का काम निष्पक्ष चुनाव कराना है। उनका कहना है कि 2012 में गुजरात व हिमाचल प्रदेश के चुनाव की घोषणा हुई तो एक साथ थी, लेकिन दोनों का अलग-अलग शेड्यूल था। इसकी वजह से 86 दिनों तक आचार संहिता लागू करनी पड़ी।
जबकि 2001 में ही कानून मंत्रालय व आयोग ने फैसला लिया था कि चुनाव की घोषणा व अधिसूचना जारी करने के बीच की अवधि 21 दिनों से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। इससे आचार संहिता केवल 46 दिनों तक ही लागू रहती है। उनका कहना है कि हिमाचल व गुजरात पूरी तरह से एक दूसरे से अलग हैं। दीपावली को भी वह गुजरात चुनाव की घोषणा में देरी के लिए एक कारण बताते हैं। जोति का कहना है कि ये पर्व गुजरातियों के लिए कुछ ज्यादा ही खास होता है। चुनाव की घोषणा होती तो आचार संहिता लागू हो जाती और लोगों का आम जनजीवन प्रभावित होता। आयोग नहीं चाहता था कि दीपावली पर लोगों को परेशानी हो। चुनाव कब होगा, इस पर वह कहते हैं कि जल्द घोषणा करेंगे?
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