पंजाब में आठ पुलिसकर्मियों को उम्र कैद
बठिंडा [जासं]। अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश महिंदरपाल सिंह पाहवा की अदालत ने परमजीत फर्जी एनकाउंटर मामले में दोषी करार दिए गए आठ पुलिसकर्मियों को मंगलवार को उम्र कैद की सजा सुनाई। सजा सुनाए जाने के बाद सभी हत्यारे पुलिसकर्मियों को जेल भेज दिया गया। इस मामले में कुल 11 पुलिसकर्मियों के खिलाफ केस दर्ज किया गया था, लेकिन केस की सुन
बठिंडा [जासं]। अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश महिंदरपाल सिंह पाहवा की अदालत ने परमजीत फर्जी एनकाउंटर मामले में दोषी करार दिए गए आठ पुलिसकर्मियों को मंगलवार को उम्र कैद की सजा सुनाई। सजा सुनाए जाने के बाद सभी हत्यारे पुलिसकर्मियों को जेल भेज दिया गया। इस मामले में कुल 11 पुलिसकर्मियों के खिलाफ केस दर्ज किया गया था, लेकिन केस की सुनवाई के दौरान दो पुलिस कर्मियों की मौत हो गई, जबकि मुख्य आरोपी डीएसपी गुरजीत सिंह भगोड़ा है। अदालत ने दस जनवरी को फर्जी एनकाउंटर मामले की सुनवाई पूरी कर ली थी।
गौर हो कि पुलिस ने 17 जुलाई 1992 को आतंकवादी कहते हुए सैनिक छावनी के एम्यूनिशन डिपो में कार्यरत 26 वर्षीय परमजीत सिंह को आटा चक्की से हिरासत में लेने के बाद हथियारों की बरामदगी दिखाई थी। कुछ दिनों बाद पुलिस ने परमजीत के अन्य आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ के दौरान भाग जाने की बात कही गई, लेकिन परिजनों का आरोप था कि उसे फर्जी एनकाउंटर में मारकर शव को खुर्द बुर्द कर दिया गया है।
उस समय परमजीत के पिता गुरजीत सिंह ने पुलिस की कहानी को झूठा बताते हुए फर्जी एनकाउंटर में अपने पुत्र के मारे जाने संबंधी मामला दर्ज करवाने की कोशिश की, लेकिन किसी भी थाने में मामला दर्ज नहीं हुआ। इसके बाद गुरजीत सिंह को मामला दर्ज करवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट तक लंबी लड़ाई लड़नी पड़ी।
मंगलवार को अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश महिंदरपाल सिंह पाहवा की अदालत ने एएसआइ बलजिंदर कुमार, कांस्टेबल गुरबचन सिंह, हेड कांस्टेबल मल सिंह, कांस्टेबल हरिंदर सिंह, कांस्टेबल कंवलजीत सिंह, कांस्टेबल त्रिलोक सिंह, होमगार्ड जवान जगसीर सिंह व जरनैल सिंह को फर्जी एनकाउंटर करने के दोष में उम्र कैद व शव खुर्द-बुर्द करने के आरोप में तीन साल कैद की सजा सुनाई। दोनों सजा साथ-साथ चलेगी। इसके अलावा सभी को दस-दस हजार का जुर्माना भी लगाया गया है। एएसआइ बलजिंदर कुमार को परमजीत को अगवा करने के मामले में सात साल की अतिरिक्त सजा सुनाई गई है।
1999 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर दर्ज हुआ था मामला
परमजीत फर्जी एनकाउंटर मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 23 मार्च 1999 को थाना कोतवाली में डीएसपी समेत 11 पुलिसकर्मियों के खिलाफ परमजीत सिंह की हत्या कर शव को खुर्द-बुर्द करने का मामला दर्ज किया गया। 15 फरवरी 2001 को चालान पेश किया गया था।
दो दोषियों की हो चुकी है मौत
परमजीत फर्जी एनकाउंटर मामले में दो दोषी एएसआइ लखबीर सिंह व कांस्टेबल पाल सिंह की पहले ही मौत हो चुकी है, जबकि डीएसपी गुरजीत सिंह भगोड़ा है। इस कारण इन तीनों पर कोई फैसला नहीं हो सका।
परिजन चाहते थे फांसी
लगभग 22 वर्ष बाद आए फैसले का परमजीत सिंह के परिजनों ने स्वागत किया है। हालांकि, परिजनों को उम्मीद थी कि सभी दोषी पुलिसकर्मियों को फांसी की सजा होगी, लेकिन उम्रकैद की सजा मिलने पर भी परिजन संतुष्ट नजर आए।
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