बेटी की शादी के दिन हिप्र के सीएम के घर सीबीआइ का छापा
हिमाचल प्रदेेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को शनिवार को भारी किरकिरी झेलनी पड़ी। मुख्यमंत्री की बेटी के विवाह के दिन ही सीबीआइ और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उनके घरों पर एक साथ छापा मारा। सीबीआइ ने उनके केंद्र में इस्पात मंत्री रहते हुए ज्ञात स्रोत से ज्यादा आय के मामले
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। हिमाचल प्रदेेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को शनिवार को भारी किरकिरी झेलनी पड़ी। मुख्यमंत्री की बेटी के विवाह के दिन ही सीबीआइ और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उनके घरों पर एक साथ छापा मारा। सीबीआइ ने उनके केंद्र में इस्पात मंत्री रहते हुए ज्ञात स्रोत से ज्यादा आय के मामले में प्राथमिकी भी दर्ज कर ली है। इस दौरान उन्होंने करोड़ों रुपये एलआइसी में निवेश किए थे। इसे उन्होंने सेब की खेती से हुई आय बताया था। मगर जांच एजेंसियों ने पाया है कि यह निवेश उन्होंने अपने एक सहयोगी के बैंक खातों के जरिये किया था, जिसमें करोड़ों रुपये नकद जमा किए गए थे।
सीबीआइ ने यह कार्रवाई वीरभद्र के 2009 से 2012 के दौरान केंद्रीय मंत्री के कार्यकाल के दौरान ज्ञात स्रोत से ज्यादा आय के मामले में पहले से चल रही जांच के आधार पर की है। इस मामले में दोनों एजेंसियों ने शनिवार को वीरभद्र के दिल्ली और शिमला के सरकारी घरों पर छापा मारा। इसके अलावा शिमला के उनके दूसरे घर, दिल्ली के महरौली में बेटे विक्रमादित्य सिंह के फार्म हाउस और सोलन के घर की भी तलाशी ली। सीबीआइ ने कहा है कि इन छापों में संपत्ति और निवेश के कागजातों के साथ ही कई गंभीर साक्ष्य मिले हैं। इसी मामले में ईडी उनके खिलाफ अलग से जांच कर रही है। ईडी ने काफी साक्ष्य पहले ही जुटा लिए हैं। 15 सितंबर को इसने सीबीआइ को अपनी जांच में मिले सुबूत साझा भी किए थे। इसके बाद सीबीआइ ने 23 सितंबर को बाकायदा वीरभद्र के खिलाफ एफआइआर दर्ज कर ली।
इस मामले में उनके करीबी और एलआइसी में उनकी रकम निवेश करवाने वाले आनंद चौहान और चुन्नी लाल चौहान के ठिकानों पर भी सीबीआइ ने छापे मारे हैं। वीरभद्र ने केंद्रीय इस्पात मंत्री रहते पांच से छह करोड़ रुपये का निवेश अपने और परिवार के सदस्यों के नाम पर एलआइसी में किया था। एलआइसी को इन पॉलिसियों का भुगतान चौहान के खातों से हुआ था। चौहान ने यह रकम अपने खाते में नकद में जमा की थी। उसने बताया था कि यह आमदनी उसे वीरभद्र के साथ सेब की खेती से हुई है। वीरभद्र सिंह के साथ उसने एक समझौता पत्र भी तैयार किया हुआ था।
ईडी ने अपनी जांच में पाया था कि इतनी रकम सेब की खेती से नहीं आ सकती। उधर, वीरभद्र ने इतनी बड़ी रकम का निवेश करने के बाद अपने आय कर रिटर्न में भी बदलाव कर दिया था। उन्होंने वित्त वर्ष 2009-10, 10-11 और 11-12 का आयकर रिटर्न दोबारा दाखिल कर इस दौरान अपनी आय में काफी इजाफा दिखाया था। यह पूरी आय उन्होंने अपने सेब के बागान से दिखाई थी।
सीबीआइ ने इस मामले में वीरभद्र सिंह और उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत प्राथमिकी दर्ज की है। जबकि ईडी मनी लांड्रिंग रोकथाम कानून के तहत जांच कर रहा है। सीबीआइ ने जून में उनके खिलाफ प्रारंभिक जांच (पीई) दर्ज की थी। सीबीआइ अधिकारियों ने 11 जगहों पर छापे की पुष्टि की है।