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73 करोड़ रुपये के फेमा उल्लंघन मामले में शाहरूख-जूही को ईडी का नोटिस

ईडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि 2008 में जब शाह रुख खान की कंपनी रेड चिली ने पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनी नाइट राइडर्स स्पोर्टस लिमिटेड बनाई थी।

By Manish NegiEdited By: Published: Fri, 24 Mar 2017 09:28 PM (IST)Updated: Sat, 25 Mar 2017 06:04 AM (IST)
73 करोड़ रुपये के फेमा उल्लंघन मामले में शाहरूख-जूही को ईडी का नोटिस
73 करोड़ रुपये के फेमा उल्लंघन मामले में शाहरूख-जूही को ईडी का नोटिस

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। सुपरस्टार शाह रुख खान के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) का शिकंजा कस गया है। ईडी ने विदेशी मुद्रा प्रबंधन कानून के तहत शाह रुख खान, उनकी पत्नी गौरी खान और सिने तारिका जूही चावला के खिलाफ कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया है। इन तीनों पर आइपीएल की फ्रेंचाइजी कोलकाता नाइट राइडर्स (केकेआर) के शेयर एक विदेशी कंपनी को बेचने में विदेशी विनिमय प्रबंधन कानून (फेमा) के उल्लंघन का आरोप है। फेमा के तहत कारण बताओ नोटिस को आरोपपत्र के समान माना जाता है।

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ईडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि 2008 में जब शाह रुख खान की कंपनी रेड चिली ने पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनी नाइट राइडर्स स्पोर्टस लिमिटेड बनाई थी। इसी कंपनी को आइपीएल का फ्रेंचाइजी केकेआर मिला था। उस समय केकेआर का पूर्ण स्वामित्व रेड चिली और गौरी खान के पास था। लेकिन बाद में आइपीएल और केकेआर की सफलता के बाद नाइट राइडर्स स्पोर्ट्स लिमिटेड ने कंपनी के दो करोड़ के अतिरिक्त शेयर जारी किये। इनमें से 50 लाख शेयर मॉरिशस की कंपनी टीएसआइआइएल को और 40 लाख शेयर जूही चावला को बेच दिया गया। ये सभी शेयर 10 रुपये के भाव से बेचे गए थे। बाद में इसी भाव पर जूही चावला ने भी अपने सभी शेयर टीएसआइआइएल को बेच दिये थे।

ईडी का आरोप है कि आइपीएल की सफलता के बाद नाइट राइडर्स स्पोर्ट्स के शेयर की कीमत काफी बढ़ गई थी। लेकिन उसे आठ से नौ गुना कम कीमत पर बेचा गया। इसके लिए शेयर की कीमत जानबूझकर कम दिखाई गई थी।

ईडी का आंकलन है कि जिस समय शेयर बेचे गए थे, उस समय नाइट राइडर्स के शेयर की कीमत 86 से 99 रुपये की थी। लेकिन उसे बेस कीमत 10 रुपये में बेच दिया गया। मॉरिशस की कंपनी को इस तरह से जानबूझ कर 73.6 करोड़ रुपये का लाभ पहुंचाया गया, तो देश के लिए सीधे तौर पर विदेशी मुद्रा का नुकसान है। ईडी ने सभी आरोपियों को 15 दिन के भीतर कारण बताओ नोटिस का जवाब देने को कहा गया है। फेमा कानून के तहत आरोप साबित होने के बाद आरोपियों को तीन गुना तक जुर्माना देना पड़ सकता है।

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