कार्ति चिदंबरम पर ईडी की बड़ी कार्रवाई, संपत्ति अटैच-अकाउंट सील
प्रवर्तन निदेशालय ने कार्ति चिंदबरम की 1.16 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त कर ली है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। विदेशी निवेश की मंजूरी देने के एवज में पैसे लेने के आरोपों में पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम की मुश्किलें बढ़ती जा रही है। आइएनएक्स मीडिया में विदेशी निवेश की मंजूरी देने में धांधली के आरोपों में सीबीआइ की एफआइआर के बाद प्रवर्तन निदेशालय ने एयरसेल-मैक्सिस डील में विदेश निवेश को मंजूरी देने के दौरान कार्ति चिदंबरम और उनकी कंपनी में जमा किये 1.16 करोड़ रुपये को जब्त कर लिया है। वहीं चिदंबरम ने ईडी के आरोपों को मनगढ़ंत और बेबुनियाद बताया है।
संपत्ति जब्त करने की जरूरत बताते हुए ईडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि कार्ति चिदंबरम पिछले कई महीने से एफआइपीबी क्लीयरेंस से बनाई गई संपत्तियों को बेच रहे हैं और उससे जुड़े बैंक खातों के बंद कर रहे हैं। ताकि भ्रष्टाचार के सबूत मिलने की स्थिति में उन संपत्तियों को जब्त नहीं किया जा सके। 2013 में ऐसे ही एफआइपीबी क्लीयरेंस पाने वाली कंपनी को कार्ति चिदंबरम ने गुड़गांव स्थित अपनी संपत्ति को किराये पर दिया था, लेकिन जांच एजेंसियों के बढ़ते शिकंजे को देखते हुए उन्होंने अपनी इस संपत्ति को बेच दिया। गौरतलब है कि पिछले दिनों सीबीआइ ने भी कार्ति चिदंबरम पर जांच से जुड़े विदेश स्थित बैंक खातों को बंद करने और उनमें जमा धन को ठिकाने लगाने का आरोप लगाया था।
ईडी ने जिन संपत्तियों को जब्त किया है, उनमें कार्ति चिदंबरम के बैंक खाते में जमा रकम के साथ-साथ एफडी भी शामिल है। इसके साथ ही 26 लाख रुपये एडवांटेज स्ट्रेटिजिक कंसल्टिंग के बैंक खाते के जब्त किये गए हैं। ईडी का कहना है कि यह कंपनी कार्ति चिदंबरम की है और 2006 में एयरसेल में विदेशी निवेश की मंजूरी मिलने के तत्काल बाद इस कंपनी में एयरसेल की ओर 26 लाख रुपये दिये गए थे। इसी तरह से साउथ एशिया काम्युनिकेशन में इस दौरान लाखों रुपये दिए गए थे। ईडी के पास इस बात के सबूत हैं कि यह कंपनी भी मूलत: कार्ति चिदंबरम की ही है।
ईडी का आरोप है कि एयरसेल में एफआइपीबी क्लीयरेंस देने के दौरान पी चिदंबरम ने तथ्यों को छिपाया। उन्होंने दिखाया एफआइपीबी क्लीयरेंस केवल 180 रुपये के विदेशी निवेश के लिए दिया गया है। जबकि सच्चाई यह है कि कुल 3500 करोड़ रुपये के विदेश निवेश को मंजूरी दी गई थी। नियम के मुताबिक वित्तमंत्री को सिर्फ 600 करोड़ रुपये तक के विदेशी निवेश को मंजूरी देने का अधिकार है।
इससे अधिक के विदेशी निवेश की मंजूरी सिर्फ आर्थिक मामले का कैबिनेट कमिटी दे सकता है। ईडी का आरोप है कि आर्थिक मामलों के कैबिनेट कमिटी में विदेशी निवेश की पूरी पड़ताल की जाती। इससे बचने के लिए इसे कम रकम का दिखाया गया। वहीं पी चिदंबरम ईडी के आरोपों को झूठा और मनगढंत बताया है। उनके अनुसार झूठे आरोपों में फंसाकर उनकी आवाज बंद करने की कोशिश की जा रही है। लेकिन सरकार इसमें सफल नहीं हो जाएगी।
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