क्षमता विस्तार से सफर होगा आसान व लेटलतीफी पर लगेगा अंकुश
ट्रेनों का सफर आसान बनाने और लेटलतीफी को रोकने के लिए सरकार ने रेलवे नेटवर्क की मौजूदा क्षमता के बेहतर इस्तेमाल की रणनीति अपनाई है। नई-नई परियोजनाओं का ऐलान करने की बजाए सरकार इस बार रेलवे में बदलाव के लिए नेटवर्क क्षमता के विस्तार पर जोर देगी।
नई दिल्ली (जागरण ब्यूरो)। ट्रेनों का सफर आसान बनाने और लेटलतीफी को रोकने के लिए सरकार ने रेलवे नेटवर्क की मौजूदा क्षमता के बेहतर इस्तेमाल की रणनीति अपनाई है। नई-नई परियोजनाओं का ऐलान करने की बजाए सरकार इस बार रेलवे में बदलाव के लिए नेटवर्क क्षमता के विस्तार पर जोर देगी। इसके लिए रेल मंत्रालय का फोकस खासतौर पर उन मार्गो पर जहां भीड़भाड़ अधिक रहती है। ऐसे मार्गो पर ट्रेनों की भीड़ कम करके पर्याप्त यातायात सृजन वाली परियोजनाएं शुरू करने को प्राथमिकता दी जाएगी। रेलवे ने ऐसी 77 परियोजनाएं चिन्हित किया है, जिन पर 96000 करोड़ रुपये से अधिक का खर्च होगा।
महत्वपूर्ण ग्राहकों को मिलेगा नया मार्ग
रेलवे के जिन मार्गो पर अत्यधिक भीड़भाड़ होती है उन पर दबाव भी बहुत रहता है। इन मार्गो पर यातायात के दबाव को देखते हुए इनकी क्षमता कम पड़ती है। रेलवे अब इन मार्गो की क्षमता बढ़ाएगी। ऐसा करके रेलवे अपने महत्वपूर्ण ग्राहकों खासतौर पर कोयला, इस्पात और सीमेंट उद्योग को परिवहन के लिए नए मार्ग उपलब्ध कराएगी।
मौजूदा नेटवर्क पर बढ़ेगी क्षमता
रेल मंत्री सुरेश प्रभु मानते हैं कि मौजूदा नेटवर्क पर और क्षमता सृजित करने के कई फायदे होते हैं। इन्हें पूरा करने में न केवल समय कम लगता है बल्कि इन पर खर्च भी कम आता है। जबकि इससे राजस्व मिलने का क्रम तुरंत शुरू हो जाता है। रेलवे इस राजस्व का उपयोग अन्य लाइनों में निवेश के लिए कर सकती है।
रेलवे लाइन बढ़ाने पर रहेगा जोर
2015-16 में 8686 करोड़ रुपये के निवेश से दोहरी, तिहरी और चौथी लाइन के लिए 7000 किलोमीटर और 1200 किलोमीटर को चालू करने पर रेलवे का जोर रहेगा। इसलिए इस मद पर बजटीय आवंटन 2014-15 के मुकाबले 71.4 फीसद अधिक किया गया है। सरकार का इरादा 8000 किलोमीटर के आमान परिवर्तन को भी चालू करने का है। इसके अलावा रेलवे ने 96182 करोड़ रुपये की लागत वाली 77 परियोजनाओं को मंजूर किया है। इनमें विद्युतीकरण समेत 9400 किलोमीटर के दोहरीकरण, तिहरीकरण और चौहरीकरण की परियोजनाएं शामिल हैं। ये परियोजनाएं देश के अधिकांश राज्यों को कवर करेंगी। रेलवे इसके अलावा क्षमता विस्तार से जुड़े अन्य छोटी परियोजनाओं को भी समय के भीतर पूरा करने पर जोर दे रही है। इनमें लंबे लूप का निर्माण, छोटे ब्लाक खंडों का निर्माण, बाइपास लाइनें बनाना, क्रासिंग स्टेशन, टर्मिनलों का संवर्धन जैसी परियोजनाएं शामिल हैं।
रेल मंत्री के मुताबिक ये कम खर्च वाले निर्माण कार्य हैं। लेकिन इनसे कम समय में बाधाएं दूर करके अत्यधिक परिचालन लाभ प्राप्त होते हैं। ऐसी परियोजनाओं पर 2374 करोड़ रुपये का खर्च होगा।
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