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2 साल मोदी सरकारः पूर्वी राज्य गदगद, उत्तर प्रदेश-पंजाब मांगेंं और मेहनत

बिहार को छोड़ दिया जाए तो विधानसभा चुनाव में इसकी झलक झारखंड और कुछ हद तक पश्चिम बंगाल मे दिखी है जहां राजग पहली बार छह सीट जीतने में कामयाब रहा है।

By Atul GuptaEdited By: Published: Thu, 26 May 2016 01:00 AM (IST)Updated: Thu, 26 May 2016 09:50 AM (IST)
2 साल मोदी सरकारः पूर्वी राज्य गदगद, उत्तर प्रदेश-पंजाब मांगेंं और मेहनत

नई दिल्ली,जागरण ब्यूरो। मोदी सरकार के दो साल के कामकाज पर हंसा रिसर्च का सर्वे जनता के संतोष असंतोष के साथ साथ क्षेत्रवार और राज्यवार सोच की भी झलक देता है। यानी यह आंकड़ा केवल प्रशासनिक न होकर राजनीतिक पहलू भी पेश करता है। जो रोचक आंकड़े आए हैैं उसके अनुसार छह महीने पहले विधानसभा चुनाव में भाजपा की बजाय महागठबंधन को चुनने वाला बिहार हर मानक पर मोदी सरकार के कामकाज से गदगद है।

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यानी किसी मानक पर 62 का अंक दिया तो किसी पर 71 प्रतिशत तक। दिल्ली भी लगभग रास्ते पर है। यहां भी अधिकांश मुद्दों पर केंद्र सरकार के कामकाज को लेकर सकारात्मक रुख दिखा है। जबकि चुनाव के मुहाने पर खड़े उत्तर प्रदेश में सरकार के लिए 'थम्स अप' औसत दिख रहा है। क्षेत्रवार बात की जाए तो भी पूर्वी भारत ही अन्य क्षेत्रों के मुकाबले मोदी सरकार के कामकाज से ज्यादा संतुष्ट है।

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यूं तो सर्वे में मोटे तौर पर यह उभर कर आया है कि जनता सरकार के कामकाज से संतुष्ट है लेकिन अभी बहुत कुछ करने की जरूरत है। अपेक्षाएं अभी पूरी नहीं हुई हैैं। महंगाई, रोजगार सृजन, काला धन जैसे मुद्दों पर सरकार को आगाह किया गया है और यह ट्रेंड पूरे देश में लगभग एक जैसा है।

पूर्वी भारत में जनता के संतोष का औसत स्तर 60 फीसद के उपर माना जा सकता है। सर्वे में हालांकि पूर्व से बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल को ही शामिल किया गया है गया है। बिहार को छोड़ दिया जाए तो विधानसभा चुनाव में इसकी झलक झारखंड और कुछ हद तक पश्चिम बंगाल मे दिखी है जहां राजग पहली बार छह सीट जीतने में कामयाब रहा है। असम में यूं तो सर्वे नहीं किया गया है लेकिन वहां राजग ने बहुमत के साथ सरकार बनाया है।

उत्तर भारत में जिन छह राज्यों को शामिल किया गया है उसमें तीन राजग शासित हैैं और तीन गैर राजग। दिल्ली के लगभग पचास फीसद लोग अधिकतर मुद्दों पर केंद्र सरकार के कामकाज को सही दिशा में मानते हैैं। लेकिन पंजाब और उत्तर प्रदेश की सोच थोड़ी अलग है। ये दोनों राज्य इसलिए भी अहम हैैं क्योंकि यहां अगले साल चुनाव है। इन दोनों राज्यों में अधिकांश मुद्दों पर कामकाज को औसत माना गया है। जबकि दक्षिण और पश्चिमी राज्यों में जनता सकारात्मक है। इन राज्यों में सरकार के पक्ष में औसत 36-40 फीसद तक वोट पड़े हैैं। उनकी ओर से यह आशा जताई गई है कि बचे हुए समय में मोदी सरकार शायद उन वादों पर खरी उतरेगी जिसने नई आशा जगाई थी।

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