मनरेगा में साल भर में प्रत्येक परिवार को मिला 49 दिनों का काम, लौटा विश्वास
जहां सालभर में रिकार्ड 49 दिनों का काम मिला, वहीं मनरेगा की मजदूरी भुगतान में गजब का सुधार हुआ है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। ग्रामीण बेरोजगारों को रोजगार मुहैया कराने में मनरेगा की भूमिका पर लगातार उठते सवालों के बीच सरकार ने दावा किया है कि लोगों को रिकार्ड संख्या में रोजगार उपलब्ध कराया गया है। रोजगार के आंकड़े पेश करते हुए केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह ने इसे सरकार की उपलब्धि करार दिया। जहां सालभर में रिकार्ड 49 दिनों का काम मिला, वहीं मनरेगा की मजदूरी भुगतान में गजब का सुधार हुआ है।
सिंह ने कहा कि मनरेगा में काम करने वाले मजदूरों की मजदूरी के भुगतान में होने वाली देरी पर भी काबू पा लिया गया है। मजदूरी का भुगतान जहां तीन-तीन महीने तक नहीं हो पाता था, वहीं अब कुछ राज्यों में यह भुगतान 24 घंटे के भीतर भी करने में सफलता मिली है। यह नायाब पहल उन राज्यों में की गई है, जहां के मनरेगा के जॉब कार्ड धारक मजदूरों को आधार कार्ड से जोड़ दिया गया है। बाकी राज्यों में भी मजदूरी के भुगतान में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। रिकार्ड 62 फीसद मजदूरी का भुगतान निर्धारित अवधि के भीतर किया गया।
वर्ष 2015-16 में मनरेगा का बजट 37 हजार करोड़ रुपये था, लेकिन योजना में खर्च 43 हजार करोड़ रुपये किया गया। सिंह ने कहा कि पिछली सरकार के कार्यकाल में मनरेगा योजना भ्रष्टाचार की पर्याय बन गई थी। इसके चलते इसमें लोग हिस्सा नहीं ले रहे थे। लेकिन मोदी सरकार की कार्य प्रणाली के चलते लोगों का विश्वास लौटा है। इसी के चलते जहां सालाना मानव दिवस घटकर 135 करोड़ दिन हो गया था, वह बढ़कर अब सालाना 235 करोड़ मानव दिवस को छूने लगा है।
ग्रामीण विकास मंत्री बीरेंद्र सिंह ने कहा कि योजना में महिलाओं की भागीदारी 55 फीसद तक पहुंच गई है। उन्होंने माना विकसित राज्यों में मनरेगा में लोगों की रुचि कम है। लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि यह योजना वहां विफल है। बल्कि मनरेगा की वजह से मजदूरी की दर बढ़ाने के लिए दूसरे सेक्टर बाध्य हुए हैं।
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