नौकरी के नाम पर हो गई करोड़ों की ठगी
दो कॉल सेंटरों से नौकरी के नाम पर ठगी का धंधा चल रहा था, जिसका लखनऊ एसटीएफ ने बुधवार को पर्दाफाश कर दिया। इस सिलसिले में मास्टरमाइंड समेत 59 लड़के-लड़कियों को गिरफ्तार किया गया। दोनों कॉल सेंटरों को सील कर दिया गया है।भारी संख्या में मोबाइल फोन, लैपटॉप, सिम व
नोएडा : दो कॉल सेंटरों से नौकरी के नाम पर ठगी का धंधा चल रहा था, जिसका लखनऊ एसटीएफ ने बुधवार को पर्दाफाश कर दिया। इस सिलसिले में मास्टरमाइंड समेत 59 लड़के-लड़कियों को गिरफ्तार किया गया। दोनों कॉल सेंटरों को सील कर दिया गया है।
भारी संख्या में मोबाइल फोन, लैपटॉप, सिम व अन्य सामान बरामद हुआ है। ठगी के लिए फर्जी नाम पते से छह बैंक में 13 खाते खोले गए थे। साथ ही सात अलग-अलग नाम से डॉट कॉम कंपनी बना ली गई थी। इन कॉल सेंटरों के माध्यम से हजारों युवाओं से करोड़ों रुपये की ठगी हुई है।
एनसीआर में कुछ अन्य जगहों पर कॉल सेंटर से ठगी करने की जानकारी एसटीएफ को मिली है। इसे लेकर छापेमारी जारी है। इस संबंध में लखनऊ के कैंट थाना में मामला दर्ज कराया गया था। जिसकी जांच एसटीएफ कर रही थी।
उत्तर प्रदेश सरकार के एक बड़े अधिकारी की बेटी को एक माह पहले फोन आया था। इसमें डॉट कॉम के जरिये उसके नौकरी के लिए चयन की जानकारी दी गई थी। दस्तावेज सत्यापन और साक्षात्कार के नाम पर उससे 10 हजार रुपये ले लिए गए थे। ठगी की जानकारी पर मामला लखनऊ पुलिस के पास पहुंचा। कैंट थाने में मामला दर्ज हुआ। बाद में एसटीएफ लखनऊ को इसकी जांच सौंपी गई। एसपी एसटीएफ त्रिवेणी सिंह ने बताया कि जांच में पता चला कि नौकरी के नाम पर ठगी का धंधा नोएडा से संचालित हो रहा है।
बुधवार को ऑप्टिस मल्टी सॉल्यूशन अर्थ सॉल्यूशन और इनफिनिटी फेयर रिक्रूटमेंट सॉल्यूशन, डी 75 सेक्टर 10 और बी 109 सेक्टर 5 स्थित कॉल सेंटर में छापेमारी की गई। जहां ठगों के सरगना ग्वालियर के रहने वाले नीतेश सिंह राठौर को गिरफ्तार किया गया। नीतेश बीकॉम पास है। वह एक डॉट कॉम कंपनी में काम करता था।
यहां से उसे नौकरी के नाम पर ठगी का धंधा करने का आइडिया मिला। नौकरी छोड़कर वह इंदौर में कॉल सेंटर खोलकर ठगी का धंधा करने लगा। इंदौर में मामला दर्ज होने पर इंदौर पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। एक माह पहले वह जेल से छूटा तो नोएडा आ गया।
यहां कॉल सेंटर खोलकर ठगी करने लगा। सात-आठ हजार रुपये के वेतन पर कॉल सेंटर में युवक और युवतियों को रखा गया था।
इस तरह चल रहा था धंधा
ठग जॉब पोर्टल साइट के कर्मचारियों से मिलीभगत कर बेरोजगार युवाओं का प्रोफाइल प्राप्त कर लेत थे। कॉल सेंटर से उन्हें नेट कॉल या सामान्य कॉल पर नौकरी दिलाने या उसके लिए चयन होने की जानकारी दी जाती थी। साथ ही बताया जाता था कि वेबसाइट पर डाले गए प्रोफाइल से उनका चयन हुआ है।
इससे युवाओं को शक नहीं होता था। युवाओं का कई बार फोन से फर्जी इंटरव्यू भी कराया जाता था। फिर चयन की जानकारी देकर एक एकाउंट नंबर दिया जाता था। जिसमें दस्तावेज सत्यापन, इंटरव्यू और रजिस्ट्रेशन कराने के नाम पर पांच से 15 हजार रुपये जमा कराए जाते थे।
कई बार प्रोसेसिंग फी के नाम पर भी यह रकम ली जाती थी। कुछ युवाओं से बैंक या कंपनी में बड़े पद पर चयन के नाम पर मोटी रकम भी ऐंठ ली जाती थी।