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खेमका का सुरक्षा लेने से इन्कार

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी तथा डीएलएफ के बीच जमीन सौदे से संबंधित दाखिल खारिज रद कर चर्चा में आए आइएएस अधिकारी अशोक खेमका ने सोमवार को सुरक्षा लेने से इन्कार कर दिया है। हरियाणा बीज विकास निगम के प्रबंध निदेशक की हैसियत से मुख्य सचिव पीके चौधरी से करीब 45 मिनट की

By Edited By: Published: Tue, 06 Nov 2012 07:56 AM (IST)Updated: Tue, 06 Nov 2012 07:58 AM (IST)
खेमका का सुरक्षा लेने से इन्कार

चंडीगढ़, जागरण ब्यूरो। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी तथा डीएलएफ के बीच जमीन सौदे से संबंधित दाखिल खारिज रद कर चर्चा में आए आइएएस अधिकारी अशोक खेमका ने सोमवार को सुरक्षा लेने से इन्कार कर दिया है।

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हरियाणा बीज विकास निगम के प्रबंध निदेशक की हैसियत से मुख्य सचिव पीके चौधरी से करीब 45 मिनट की मुलाकात के बाद खेमका ने नसीहत दी कि पुलिस महानिदेशक, मुख्य सचिव, उपायुक्त और पुलिस कप्तान को भी सुरक्षा सुविधा नहीं लेनी चाहिए। सुरक्षा की जरूरत सिर्फ आम आदमी को है।

अशोक खेमका को पिछले दिनों पंचकूला स्थित कार्यालय के फोन पर जान से मारने की धमकी मिली थी। इस मामले में पंचकूला पुलिस ने हाउसिंग बोर्ड के बर्खास्त कर्मचारी उम्मेद सिंह को गुड़गांव से गिरफ्तार कर रिमांड पर ले रखा है। मुख्य सचिव इस बात से नाराज थे कि खेमका ने उन्हें सूचना दिए बिना केस दर्ज करा दिया।

हरियाणा सचिवालय में करीब 45 मिनट तक मुख्य सचिव से चली मुलाकात के बाद खेमका ने इसका ब्योरा देने से इन्कार कर दिया। उन्होंने कहा कि यह विभागीय और गोपनीय मुलाकात थी। लेकिन एक सवाल के जवाब में उन्होंने सवाल खड़ा किया कि वे जिस विभाग में रहे और अनियमितताओं के आरोप में आरोपियों के विरुद्ध कार्रवाई की, तो अचानक आपत्ति जताने वाले कहां से खड़े हो गए। यदि किसी कर्मचारी को उनकी कार्रवाई पर आपत्ति थी तो वह उसी समय करता। आपत्ति जताने का यह समय उन्हें समझ नहीं आ रहा है। उन्होंने इसे साजिश का हिस्सा करार दिया।

जांच हो, धमकी के पीछे कौन

खेमका ने कहा कि उन्होंने विभिन्न पदों पर तैनाती के दौरान जिन कर्मचारियों व अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की थी, वे किसी के इशारे पर इन दिनों साजिश रच रहे हैं। जहा तक धमकी का सवाल है, इसकी जाच होनी चाहिए। धमकी दिए जाने के पीछे कौन है? खेमका ने एक सवाल के जवाब में चार जिला उपायुक्तों द्वारा वाड्रा के जमीन सौदों को क्लीन चिट देने की आलोचना की और कहा कि जांच रिपोर्ट में सिर्फ तथ्यों को सामने रखा जाना चाहिए। जांच कमेटी का यह दायित्व नहीं होता कि वह प्रदेश सरकार की मंशा को जाहिर करे।

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