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आत्मरक्षा के लिए डॉक्टरों ने मांगे शस्त्र लाइसेंस

सम्मेलन के जरिये देश भर के सरकारी व निजी अस्पतालों के डॉक्टरों ने लामबंदी शुरू कर दी है।

By Gunateet OjhaEdited By: Published: Sun, 16 Jul 2017 09:53 PM (IST)Updated: Sun, 16 Jul 2017 09:53 PM (IST)
आत्मरक्षा के लिए डॉक्टरों ने मांगे शस्त्र लाइसेंस
आत्मरक्षा के लिए डॉक्टरों ने मांगे शस्त्र लाइसेंस

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। अस्पतालों में मारपीट की घटनाओं के चलते डॉक्टरों ने अपनी रक्षा के लिए हथियार लाइसेंस की मांग रखी है। रविवार को आरएमएल अस्पताल में देश भर के सरकारी डॉक्टरों के संगठन ज्वाइंट एक्शन काउंसिल ऑफ सर्विस डॉक्टर्स ऑर्गेनाइजेशंस (जेएसीएसडीओ) के सम्मेलन में चिंता जताई गई।

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इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए), दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन (डीएमए) के सदस्यों के अलावा कई राज्यों के डॉक्टरों ने सम्मेलन में हिस्सा लिया। इसमें सातवें वेतन आयोग के प्रावधानों पर भी नाराजगी जाहिर की गई। सम्मेलन में डॉक्टरों ने प्रस्ताव पास कर सरकार से डॉक्टरों को हथियार का लाइसेंस दिए जाने की मांग की। साथ ही सातवें वेतन आयोग की विसंगतियों को दूर करने व भारतीय चिकित्सा सेवा (इंडियन मेडिकल सर्विस) कैडर शुरू करने की मांग की। सम्मेलन के जरिये देश भर के सरकारी व निजी अस्पतालों के डॉक्टरों ने लामबंदी शुरू कर दी है।

जेएसीएसडीओ के पदाधिकारियों ने मांगें नहीं माने जाने पर अस्पतालों में हड़ताल की चेतावनी दी है। डॉक्टरों का कहना है कि सरकार ने सातवें वेतन आयोग में एनपीए (एनपीए) को बढ़ाने के बजाय उसे कम कर दिया है। इसके अलावा उसे मूल वेतन से अलग कर दिया गया है।

जेएसीएसडीओ के चेयरमैन डॉ. राजीव सूद ने कहा कि प्रशासनिक सेवाओं की तर्ज पर डॉक्टरों के लिए अलग प्रशासनिक कैडर शुरू करने का प्रस्ताव 30 साल से लंबित है। डॉक्टरों का आरोप है कि नौकरशाह सरकार को गुमराह कर रहे हैं। डॉ. सूद ने कहा कि अस्पतालों में डॉक्टरों के साथ मारपीट की घटनाएं बढ़ी हैं। इसलिए एम्स के रेजिडेंट डॉक्टरों को आत्मरक्षा के लिए कराटे कोर्स संचालित करना पड़ा। उन्होंने कहा कि डॉक्टरों को आत्मरक्षा के लिए सरकार शस्त्र लाइसेंस उपलब्ध कराए, जिससे जरूरत पड़ने पर वे अपनी रक्षा कर सकें।

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