बस्तर: IPS ऑफिसर ने बचायी फायरिंग में जख्मी नक्सली की जान
छत्तीसगढ़ के बस्तर में नक्सलियों के साथ सात घंटे लंबी मुठभेड़ में घायल एक नक्सली की जान पूर्व में डॉक्टर रहे IPS अधिकारी ने बचायी।
बस्तर (जेएनएन)। छत्तीसगढ़ के बस्तर स्थित घने जंगलों में पिछले हफ्ते एक मुठभेड़ के दौरान नक्सली कमांडर सोमारु को आइपीएस ऑफिसर ने गोली मारी और फिर गंभीर तौर पर जख्मी सोमारु का खून बहता देख आइपीएस के भीतर छिपा ‘डॉक्टर’ जाग उठा और उन्होंने उसकी जान बचा ली। दरअसल आइपीएस बनने से पहले दंतेवाड़ा के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अभिषेक पल्लव एक डॉक्टर के तौर पर प्रैक्टिस कर रहे थे। इस मुठभेड़ में पांच नक्सली मारे गए, वहीं दो जवान भी शहीद हो गए थे।
'साहेब ने बचाई जान'
पुलिस अधीक्षक का हवाला देते हुए सरकारी अस्पताल में भर्ती नक्सली सोमारु ने बताया, 'साहेब ने मेरी जान बचाई।' सिर पर एक लाख रुपये के इनाम वाले नक्सली सोमारु को गत 18 मार्च को सात घंटे तक चले एनकाउंटर के दौरान पेट में गोली लग गयी थी। गोली लगने के कारण सोमारु के पेट से लगातार खून बह रहा था और वह दर्द से छटपटा रहा था।
पल्लव ने बताया, ‘प्रशिक्षित डॉक्टर होने के कारण मैं सोमारु को उस हाल में नहीं छोड़ सकता था और इसलिए मैंने उसका इलाज किया।' 2013 में पुलिस सेवा में नियुक्ति से पहले बिहार के बेगूसराय निवासी पल्लव चिकित्सक के तौर पर काम कर रहे थे। 2009 में एम्स से उन्होंने एमडी किया था। उन्होंने सोमारु के घाव पर पट्टी बांधी और पेनकिलर इंजेक्शन दिया, इसके बाद एंबुलेंस से नजदीकी अस्पताल भेज दिया। पल्लव ने बताया, 'यदि कुछ मिनट तक और उसे यूं ही छोड़ दिया जाता तो उसकी मौत हो जाती।'
मानवता का उदाहरण
छत्तीसगढ़ पुलिस के स्पेशल डायरेक्टर जनरल डीएम अवस्थी के अनुसार, 'पल्लव ने जो किया वह बेहतरीन उदाहरण है।' पुलिस ने बताया कि सोमारु की जिंदगी बचाकर पल्लव ने मानवता का परिचय तो दिया ही साथ ही सोमारु हमारे लिए माओवादियों की जानकारी का खजाना साबित होगा।' एक गोपनीय जानकारी के आधार पर मलंगिर नदी के पार चिरमूर के सुदूर गांव में पुलिस पहुंची। पुलिस के वहां पहुंचते ही माओवादियों ने गोलीबारी शुरू कर दी और पुलिस ने भी जवाबी कार्रवाई की। 2700 राउंड से अधिक फायरिंग हुई थी, जिसमें से पल्लव ने अकेले 23 राउंड चलायी थी।
कृतज्ञ हुआ नक्सली
न्यायिक हिरासत के तहत अस्पताल में सोमारु का इलाज किया जा रहा है। सोमारु से मिलने पुलिस अधीक्षक अस्पताल गए थे और तब सोमारु ने मुस्कुराकर अपनी कृतज्ञता प्रकट की।
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