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अजीत डोभाल पहुंचे काबुल, रणनीतिक रिश्ते होंगे और मजबूत

विदेश मंत्रालय की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक डोभाल सोमवार को सुबह काबुल पहुंचे। वहां उनकी मुलाकात राष्ट्रपति अशरफ गनी और सीईओ अब्दुल्लाह अब्दुल्लाह से मुलाकात की।

By Sachin BajpaiEdited By: Published: Mon, 16 Oct 2017 09:52 PM (IST)Updated: Tue, 17 Oct 2017 10:04 AM (IST)
अजीत डोभाल पहुंचे काबुल, रणनीतिक रिश्ते होंगे और मजबूत
अजीत डोभाल पहुंचे काबुल, रणनीतिक रिश्ते होंगे और मजबूत

जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। ऐसे समय जब अफगानिस्तान में राजनीतिक हालात काफी तेजी से बदल रहे हैं और अमेरिका वहां भारत को और सक्रिय होने के लिए आमंत्रित कर रहा है तब राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल का अफगानिस्तान पहुंचना अहम है। इसे हाल के दिनों में भारत व अफगानिस्तान के बीच उच्च स्तर पर जारी विमर्श के दौर की एक महत्वपूर्ण अहम कड़ी के तौर पर देखा जा रहा है। डोभाल की इस यात्रा से पड़ोसी देश पाकिस्तान को जरुर मिर्ची लगेगी क्योंकि वह न सिर्फ डोभाल की अफगान नीति को बेहद संदेह भरे नजरों से देखता है बल्कि हाल ही में उसने यह भी कहा है कि भारत की वहां कोई भूमिका नहीं है।

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विदेश मंत्रालय की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक डोभाल सोमवार को सुबह काबुल पहुंचे। वहां उनकी मुलाकात राष्ट्रपति अशरफ गनी और सीईओ अब्दुल्लाह अब्दुल्लाह से मुलाकात की। अफगानिस्तान के एनएसए हनीफ अतमर ने उनके सम्मान में एक भोज भी दिया था जिसमें दोनों देशों के रक्षा विभागों के कई अधिकारी, अफगानिस्तान के विदेश, रक्षा व आतंरिक सुरक्षा मंत्रालय के आला अधिकारियों का समूह और राज्य सरकारों के प्रतिनिधि उपस्थित थे। अफगानिस्तान में तमाम मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ यह डोभाल की पहली बैठक थी। यह एक तरफ से भारत की तरफ से वैश्विक बिरादरी को संकेत भी है कि वह अफगानिस्तान में अहम भूमिका निभाने को तैयार है। डोभाल की वहां हुई बैठकों में अमेरिका की नई अफगानिस्तान नीति और इसके जरिए स्थाई शांति स्थापित करने के तमाम विकल्पों पर भी चर्चा हुई है।

विदेश मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक डोभाल की अफगान के अधिकारियों के साथ द्विपक्षीय रणनीति व वैश्विक मुद्दों पर विस्तार से बात हुई है। दोनों पक्षों में यह सहमति थी कि पूरे क्षेत्र में शांति व स्थायित्व के लिए आपसी सहयोग को और बढ़ावा दिया जाए। दोनो पक्षों के बीच अमेरिका की नई अफगान नीति को लेकर भी विमर्श हुआ और भारत की तरफ से यह बताया गया कि वह अफगानिस्तान में जारी हिंसा का समाधान वहां के स्थानीय नागरिकों के इच्छा के मुताबिक करने में वह पूरा सहयोग देगा। माना जा रहा है कि डोभाल और वहां के एनएसए अतमर के बीच अफगानिस्तान के सुरक्षा बलों को भारत में प्रशिक्षण देने पर बात भी हुई है। साथ ही भारत की तरफ से अफगानिस्तान के विकास के लिए घोषित सौ से भी ज्यादा कार्यक्रमों पर भी चर्चा हुई है।

सूत्रों के मुताबिक डोभाल की यात्रा के साथ भी भारत ने पाकिस्तान के उस बयान का करारा जवाब भी दे दिया है कि अफगानिस्तान समस्या में भारत की कोई भूमिका नहीं है। हाल ही में यह बयान पाकिस्तान के पीएम शाहिद अब्बासी ने दिया था। हाल ही में अपनी अमेरिका यात्रा के दौरान यह भी कहा था कि भारत को अफगानिस्तान में किसी तरह की राजनीतिक भूमिका निभाने की इजाजत नहीं मिलनी चाहिए। अब भारतीय एनएसए डोभाल ने अफगानिस्तान की यात्रा कर यह साफ कर दिया है कि वह वहां स्थायी शांति के लिए काम करता रहेगा।

पिछले हफ्ते शंघाई सहयोग संगठन के तत्वाधान में अफगानिस्तान को लेकर हुई बैठक में भी भारत ने यह कहा है कि अफगानिस्तान की समस्या का समाधान वहां के नागरिकों की तरफ से ही निकाला जाना चाहिए। बहरहाल, पाकिस्तान को यह और नागवार गुजरेगा कि डोभाल और अतमर के बीच यह सहमति बनी है कि दोनो देश आपसी रणनीतिक रिश्ते को और प्रगाढ़ करेंगे। राष्ट्रपति गनी के जल्द ही भारत आने के भी आसार हैं।


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