इस भाजपा सांसद को नहीं पता सिगरेट से कैंसर होता है या नहीं
भाजपा सांसद और संसदीय पैनल के प्रमुख डीके गांधी के बयान से बवाल मच गया है। उन्होंने कहा कि देश में कैंसर और सिगरेट को लिंक करने वाला कोई सर्वे कराया ही नहीं गया है। क्या पता इससे कैंसर होता है या नहीं?
नई दिल्ली। भाजपा सांसद और संसदीय पैनल के प्रमुख डीके गांधी के बयान से बवाल मच गया है। उन्होंने कहा कि देश में कैंसर और सिगरेट को लिंक करने वाला कोई सर्वे कराया ही नहीं गया है। क्या पता इससे कैंसर होता है या नहीं?
गांधी ने कहा कि सिगरेट और कैंसर के जुड़ाव के संबंध में कुछ स्वतंत्र सर्वे जरूर हुए हैं, लेकिन सिगरेट पीने से कैंसर होता है या नहीं, इसका स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव प़़डता है, इस मामले में हमने कभी कोई सर्वे नहीं किया। उधर केंद्र सरकार के पर्यावरण मंत्रालय ने सांसद के बयान से पल्ला झाड़ लिया है।
हम सहमत नहीं पर्यावरण मंत्री प्रकाश जाव़़डेकर ने मंगलवार को पत्रकारों से कहा कि वे डीके गांधी से सहमत नहीं है, क्योंकि विज्ञान गलत नहीं हो सकता। चेतावनी के खिलाफ संसदीय पैनल अहम बात यह है कि सिगरेट और दूसरे तम्बाकू उत्पादों के लिए बने संसदीय पैनल ने 1 अप्रैल से सिगरेट के पैकेट पर आने वाली सचित्र चेतावनी को ब़़डा किये जाने के खिलाफ तर्क दिया है।
समिति के मुताबिक ऐसा करने से लोगों में खौफ पैदा हो जाएगा, साथ ही रोजगार पर भी असर प़़डेगा। अभी तक यह चेतावनी पैकेट के 40 फीसदी हिस्से में होती थी, जिसे ब़़ढाकर 85 फीसदी किया जाना था।
पाटिल की मौत तंबाकू के कारण : सुप्रिया
एनसीपी की सांसद सुप्रिया सुले, डीके गांधी के बयान से हैरान हैं। उनका कहना है कि आरआर पाटिल की मौत तंबाकू के कारण ही हुई थी। अगर कोई सबूत देखना है तो एक बार टाटा मेमोरियल अस्पताल में जाएं, तो स्थिति का अंदाजा हो जाएगा। पिछले साल जारी हुए थे निर्देश पिछले ही साल तंबाकू कंपनियों को निर्देश जारी किए गए थे कि 1 अप्रैल, 2015 से सिगरेट के डिब्बे के 85 फीसदी भाग पर स्वास्थ्य संबंधी चेतावनी दी जाए।
हालांकि संसदीय समिति ने इस मामले में और बातचीत की जरूरत बताई है, जिसके कारण तंबाकू कंपनियों के लिए राहत मिलती दिख रही है। संकेत अच्छे नहीं यह तो सरकार पर निर्भर करता है कि उन्हें संसदीय समिति की सिफारिशों को मानना है या नहीं, लेकिन धूम्रपान के खिलाफ अभियान चलाने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं के अनुसार डेडलाइन के अनुसार चेतावनी को लागू नहीं करना अच्छे संकेत नहीं हैं।
पिछले साल नवंबर में जब भारत सरकार ने सिगरेट खरीदने की न्यूनतम उम्र ब़़ढाकर 25 साल करने और खुली सिगरेट बेचने पर रोक लगाने की बात कही थी, तो स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े तमाम लोगों ने इस फैसले का स्वागत किया था। भारत में 9 लाख लोग हर साल गंवा देते हैं जान भारत में हर साल करीब 9 लाख लोग तंबाकू जनित बीमारियों के कारण अपनी जान गंवा देते हैं और यह संख्या चीन के बाद दुनिया में दूसरे नंबर पर है। जानकारों का मानना है कि इस दशक के अंत तक यह आंक़़डा 15 लाख तक पहुंच जाएगा।