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विधानसभा चुनाव : उभर रहा असंतोष : एनडीए में प्रेशर पॉलिटिक्स

बिहार विधानसभा चुनाव के दिन जैसे-जैसे करीब आ रहे हैं, एनडीए में सीटों के बंटवारे को लेकर गठबंधन की राजनीति का दबाव बढ़ता ही जा रहा है। एनडीए गठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी भाजपा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भागलपुर रैली से पहले अपने पत्ते खोलने को तैयार नहीं है।

By Amit AlokEdited By: Published: Sat, 29 Aug 2015 10:57 AM (IST)Updated: Sat, 29 Aug 2015 11:03 AM (IST)
विधानसभा चुनाव : उभर रहा असंतोष : एनडीए में प्रेशर पॉलिटिक्स

पटना [राजीव रंजन]। बिहार विधानसभा चुनाव के दिन जैसे-जैसे करीब आ रहे हैं, एनडीए में सीटों के बंटवारे को लेकर गठबंधन की राजनीति का दबाव बढ़ता ही जा रहा है। एनडीए गठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी भाजपा जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भागलपुर रैली से पहले अपने पत्ते खोलने को तैयार नहीं है, वहीं घटक दलों ने भाजपा पर गठबंधन की तस्वीर साफ करने का दबाव बढ़ा दिया है।

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दबाव के पीछे की राजनीति भी बिल्कुल साफ है। एनडीए के सभी घटक दलों को भाजपा से अधिक नहीं तो उसके मुकाबले बहुत कम सीटें भी स्वीकार्य नहीं है। एनडीए में सीटों के बंटवारे को लेकर भाजपा पर दबाव बनाने के लिए घटक दलों ने अपनी संयुक्त रणनीति को भी अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है।

लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) ने अपने कार्यकर्ताओं को एकजुट करने के लिए प्रमंडल स्तर पर कार्यकर्ता सम्मेलन के आयोजन का एलान किया है। जबकि राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) ने भाजपा को बिहार विधानसभा की कुल 102 सीटों तक ही सीमित रहने का इशारा दे दिया है।

उधर, पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी के नेतृत्व वाली ङ्क्षहदुस्तानी अवाम मोर्चा पार्टी (सेक्यूलर) ने गठबंधन में सीटों के बंटवारे में कम से कम 40 सीटों पर अपना दावा जताया है।

एनडीए की छतरी के नीचे विधानसभा चुनाव में उतरने की तैयारी कर रहे राजद से निष्कासित सांसद व जन अधिकार पार्टी के प्रमुख राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने सीमांचल में एआइएमआइएम प्रमुख मो. असदुद्दीन ओवैसी के साथ मिलकर सीमांचल में एनडीए और महागठबंधन के समक्ष बड़ी चुनौती पेश करने के संकेत दे दिए हैं।

सूत्र बताते हैं कि पप्पू यादव ने एनडीए में सीटों के बंटवारे को लेकर उभरने वाले असंतोष से निपटने के लिए भी अपनी रणनीति तैयार कर रखी है। सीमांचल की 25 सीटों पर चुनाव लडऩे का एलान कर चुके ओवैसी के साथ मिलकर पप्पू सीमांचल के उन सभी जिलों में एआइएमआइएम के साथ समझौता करने की तैयारी में हैं जहां अल्पसंख्यक मतदाता बहुतायत में हैं।

अगर पप्पू यादव इसमें सफल होते हैं तो अल्पसंख्यक बहुल सीटों पर दोनों ही प्रमुख गठबंधनों एनडीए और महागठबंधन का रास्ता मुश्किल हो सकता है।

एनडीए में सीटों के बंटवारे से पहले घटक दलों में विश्वासघात करने वालों को लेकर भी असंतोष दिखाई देने लगा है। लोजपा संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष व सांसद चिराग पासवान ने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात में लोजपा के उन पुराने नेताओं को एनडीए से दूर रखने की मांग की है जो पिछले दिनों लोजपा का दामन छोड़कर या तो भाजपा में शामिल हो गए हैं या फिर अन्य घटक दलों के साथ एनडीए की छतरी के नीचे हैं।

लोजपा को, भाजपा में शामिल हुए पूर्व सांसद साबिर अली के साथ-साथ पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह के दोनों विधायक पुत्रों से भी परहेज है। नरेंद्र सिंह के विधायक पुत्र अजय प्रताप और सुमित कुमार सिंह मांझी के खेमे में हैं और 'हम' के टिकट पर ही चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे हैं।


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