एलपीजी सब्सिडी ट्रांसफर बनी संप्रग का बड़ा दांव
चुनाव से ठीक पहले एलपीजी ग्राहकों के बैंक खाते में सीधे सब्सिडी ट्रांसफर (डीबीटीएल) को लागू कर सरकार बाजी मारने की मंशा पाले है तो यह पूरी तरह आधारहीन नहीं है। 'गेमचेंजर' मानी जा रही इस योजना के असर को फिलहाल तो नकारा नहीं जा सकता है। रसोई गैस सब्सिडी को सही व्यक्ति तक पहुंचाने के लिए शुरू की गई इस
नई दिल्ली [जयप्रकाश रंजन]। चुनाव से ठीक पहले एलपीजी ग्राहकों के बैंक खाते में सीधे सब्सिडी ट्रांसफर (डीबीटीएल) को लागू कर सरकार बाजी मारने की मंशा पाले है तो यह पूरी तरह आधारहीन नहीं है। 'गेमचेंजर' मानी जा रही इस योजना के असर को फिलहाल तो नकारा नहीं जा सकता है। रसोई गैस सब्सिडी को सही व्यक्ति तक पहुंचाने के लिए शुरू की गई इस योजना को गेमचेंजर बनाने के लिए केंद्र सरकार ने 25 हजार करोड़ रुपये का दांव खेला है। दूसरे चरण में 289 जिलों में लगभग दस करोड़ एलपीजी ग्राहकों के घर में नकदी पहुंचा कर सरकार अगले चुनाव में संप्रग को सत्ता में बनाए रखने के बारे में सोच रही है।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पिछले हफ्ते देश के 269 जिलों में डीबीटीएल (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर फॉर एलपीजी) लागू करने का फैसला किया। 20 जिलों में पहले से ही यह स्कीम प्रायोगिक तौर पर लागू है। एक जनवरी, 2014 तक यानी अगले आम चुनाव से पहले इन सभी 289 जिलों में एलपीजी कनेक्शन वाले घरों में हर महीने नकदी पहुंचने लगेगी। पेट्रोलियम मंत्रालय की तरफ से इन जिलों की सूची जारी की गई है। देश में 600 से ज्यादा जिले हैं और एलपीजी कनेक्शन धारकों की कुल संख्या 14 करोड़ के करीब है। मगर इन 289 जिलों में एलपीजी कनेक्शन वाले देश के 10 करोड़ परिवार हैं। मौजूदा दर के मुताबिक साल भर में इन सभी परिवारों को करीब 3,900 रुपये मिलेंगे। इस तरह सभी कनेक्शन पर सरकार हर साल करीब (431 रुपये प्रति सिलेंडर, नौ सिलेंडर प्रति वर्ष) 40 हजार करोड़ रुपये की सब्सिडी देगी। चालू वित्त वर्ष के दौरान ही सरकार 25 हजार करोड़ रुपये इन ग्राहकों के बैंक खाते में डालने की मंशा रखती है।
सूत्रों के मुताबिक पूरा चुनावी गणित देख कर ही जिलों का चुनाव किया गया है। बिहार और उत्तर प्रदेश को छोड़कर ज्यादा आबादी वाले अन्य सभी राज्यों (आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, झारखंड, कर्नाटक, राजस्थान, तमिलनाडु आदि) के अधिकांश जिलों को शामिल किया गया है। वैसे, यूपी के लखनऊ, कानपुर, इटावा जिले इस स्कीम के दायरे में हैं। संप्रग सरकार को भरोसा है कि यह स्कीम 250 से ज्यादा लोक सभा सीटों पर कांग्रेस के पक्ष में हवा बांधने में असरकारक साबित हो सकती है। पूर्वोत्तर राज्यों, बिहार, जम्मू-कश्मीर और उत्तर प्रदेश को छोड़कर देश के अधिकांश भागों में यह स्कीम एक जनवरी, 2014 तक लागू हो जाएगी।
कांग्रेस पार्टी सब्सिडी नकद ट्रांसफर करने की स्कीम, भूमि अधिग्रहण विधेयक और खाद्य सुरक्षा कानून को गेम चेंजर मान कर चल रही है। भूमि अधिग्रहण कानून से संप्रग ग्रामीण, गरीब और किसान वर्ग को लुभाने की कोशिश करेगा, जबकि एलपीजी नकदी ट्रांसफर के जरिये शहरी आबादी में पैठ बनाने की कोशिश होगी।
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