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गोवा के पूर्व विधायक ने कहा, दिग्विजय सिंह को राजनीति से संन्यास ले लेना चाहिये

विश्वजीत राणे गुरुवार को पार्टी व्हिप को ठेंगा दिखाते हुए विश्वासमत के दौरान सदन में अनुपस्थित रहे थे।

By Rajesh KumarEdited By: Published: Fri, 17 Mar 2017 07:41 PM (IST)Updated: Sat, 18 Mar 2017 08:20 AM (IST)
गोवा के पूर्व विधायक ने कहा, दिग्विजय सिंह को राजनीति से संन्यास ले लेना चाहिये
गोवा के पूर्व विधायक ने कहा, दिग्विजय सिंह को राजनीति से संन्यास ले लेना चाहिये

पणजी, प्रेट्र। गोवा के पूर्व विधायक विश्वजीत राणे ने कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह पर सीधा हमला बोलते हुए कहा कि अब उन्हें राजनीति से संन्यास ले लेना चाहिए। इससे पहले, विश्वजीत राणे गुरुवार को पार्टी व्हिप को ठेंगा दिखाते हुए विश्वासमत के दौरान सदन से अनुपस्थित रहे थे। बाद में उन्होंने कांग्रेस पार्टी से अपना इस्तीफा दे दिया।

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पार्टी छोड़ने के एक दिन बाद राणे ने कहा, 'दिग्विजय सिंह को राजनीति छोड़ देनी चाहिए। उन्होंने और कांग्रेस के अन्य नेताओं ने जो बड़ी गलती की है, उसका खामियाजा गोवा में कांग्रेस को चुकाना पड़ा, जिसके चलते वह बहुमत रहने के बावजूद सरकार नहीं बना पायी।'

राणे ने कहा, 'मैं नहीं जानता हूं कि दिग्विजय सिंह वास्तव में गोवा में कांग्रस की सरकार बनाने चाहते थे। उनके एक्शन को देखकर तो ऐसा नहीं लगता है।' पूर्व मुख्यमंत्री प्रतापसिंह राणे के बेटे ने आरोप लगाते हुए कहा कि गोवा विधानसभा की 17 सीटें जीतने के बाद पार्टी कार्यालय में कांग्रेस विधानमंडल की बैठक महज एक मजाक था।

दिग्गी का पलटवार कहा कांग्रेसियों ने ही किया बंटाधार

उधर, गोवा में राजनीतिक प्रबंधन की चूक को लेकर निशाना बन रहे कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने बचाव करते हुए अपने नेताओं को ही कांग्रेस की इस दशा के लिए जिम्मेदार ठहराया है। दिग्विजय के अनुसार सूबे के पार्टी नेताओं की वजह से ही कांग्रेस का बंटाधार हुआ है और गोवा में सरकार बनाने का मौका पार्टी चूक गई। उन्होंने कहा कि चुनाव में गोवा फारवर्ड पार्टी से चुनावी तालमेल के उनके प्रस्ताव को ठुकराना कांग्रेस के लिए महंगा साबित हुआ है।

ट्विटर पर गोवा के सियासी घटनाक्रम के संदर्भ में दिग्गी ने अपने तेवरों का इजहार करते हुए कहा कि जो लोग चुनाव बाद सरकार बनाने की कसरत में चूक की बात कर रहे हैं उन्हें अपने गिरेबान में झांकना चाहिए। दिग्विजय ने इसी क्रम में चुनाव से पहले गोवा फारवर्ड पार्टी के साथ गठबंधन की उनकी कोशिशों पर प्रदेश नेताओं के एतराज का खुलासा किया।

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उनका कहना था कि चुनाव में उन्होंने बाबू मोनसराटे और गोवा फारवर्ड पार्टी के साथ गठबंधन की पहल की थी। बाबू से हुए तालमेल का फायदा भी हुआ और हमने पांच में से तीन सीटें भी जीतीं। मगर गोवा फारवर्ड पार्टी के साथ गठबंधन को कांग्रेस नेताओं ने ही सिरे चढ़ने से पहले ध्वस्त कर दिया। निसंदेह यह पार्टी के लिए दुखद है क्योंकि गोवा फारवर्ड पार्टी से गठबंधन होता तो हमें 22 सीटों के साथ सत्ता मिल जाती।

गोवा प्रकरण में खुद को खलनायक बताए जाने से खफा दिग्विजय ने कहा कि उनकी मेहनत का ही नतीजा रहा कि कांग्रेस चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी बनी। भाजपा के सीटों की संख्या घटकर 13 पर आ गई। इससे भी अहम बात रही कि आम आदमी पार्टी जिसके बारे में कहा जा रहा था कि वह गोवा में भी सियासी पैठ बना लेगी उसे सिफर साबित करने में उनकी रणनीति कामयाब रही। दिग्गी राजा ने अपने नेताओं को आड़े हाथ लेते हुए यह भी कहा कि आज सवाल उठा रहे कांग्रेस के इन नेताओं ने भी चुनाव के समय यह अनुमान लगाया था कि पार्टी को दो से चार सीटें ही मिलेंगी।

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