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दिवाली बंपर : डीजल 3.37 रुपये सस्ता

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिवाली से ठीक पहले पेट्रोलियम क्षेत्र में सुधारों के सारे पटाखे एक साथ फोड़ दिए हैं। इसके तहत डीजल कीमत को सरकारी नियंत्रण से बाहर कर दिया गया है जिससे देश की आम जनता को डीजल कीमत में तत्काल तीन से 3.75 रुपये तक की राहत मिली है। यह आने वाले दिनों में महंगाई को और कम करने वाला कदम साबित हो सकता है।

By Murari sharanEdited By: Published: Sat, 18 Oct 2014 07:27 PM (IST)Updated: Sat, 18 Oct 2014 10:01 PM (IST)
दिवाली बंपर : डीजल 3.37 रुपये सस्ता

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिवाली से ठीक पहले पेट्रोलियम क्षेत्र में सुधारों के सारे पटाखे एक साथ फोड़ दिए हैं। इसके तहत डीजल कीमत को सरकारी नियंत्रण से बाहर कर दिया गया है जिससे देश की आम जनता को डीजल कीमत में तत्काल तीन से 3.75 रुपये तक की राहत मिली है। यह आने वाले दिनों में महंगाई को और कम करने वाला कदम साबित हो सकता है। दिल्ली में डीजल की कीमत में शनिवार आधी रात से 3.37 रुपये की कमी हो गई है।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने शनिवार को घरेलू ब्लॉकों से निकाली गई गैस की कीमत तय करने के नए फंॉर्मूले को भी मंजूरी दे दी। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कैबिनेट के इस फैसले की जानकारी देते हुए बताया कि नए फॉर्मूले के मुताबिक प्राकृतिक गैस की कीमत मौजूदा 4.2 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू (गैस नापने का अंतरराष्ट्रीय मापक) से बढ़कर 5.61 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू हो जाएगी। यह कीमत एक नवंबर, 2014 से लागू होगी। पूर्व संप्रग सरकार ने रंगराजन फॉर्मूले के आधार पर घरेलू गैस की कीमत 8.4 डॉलर करने का फैसला किया था।

मोदी सरकार ने इसके साथ ही रसोई गैस सब्सिडी देने के लिए फिर से डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) योजना लागू करने संबंधी प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी है। अब इस योजना के तहत सिर्फ आधार कार्ड आधारित बैंक खाताधारक ही नहीं, बल्कि सामान्य बैंक खाता रखने वाले ग्राहकों के खाते में भी रसोई गैस सब्सिडी ट्रांसफर होगी।

सबसे बड़ा फैसला

डीजल कीमत को बाजार के हवाले करने को पेट्रोलियम क्षेत्र में अभी तक का सबसे बड़ा फैसला माना जा रहा है। पिछले दो महीने में क्रूड के लगभग 25 फीसद सस्ता होकर करीब 83 डॉलर प्रति बैरल पर आने से भी सरकार को फैसला लेने में आसानी हुई है। क्रूड के सस्ता होने से ही डीजल की कीमत पिछले पांच वर्षो में पहली बार कम की गई है।

पूर्व की संप्रग सरकार ने जनवरी, 2013 में हर महीने डीजल की कीमत 50 पैसे प्रति लीटर बढ़ाने का फैसला किया था। उसके बाद से एक सितंबर, 2014 तक डीजल में 19 दफा कुल मिलाकर 11.81 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी हुई थी।

फैसले का होगा दूरगामी असर

डीजल को नियंत्रण मुक्त करने का देश के पेट्रोलियम क्षेत्र पर दूरगामी असर होगा। अभी डीजल सस्ता होने से माल ढुलाई सस्ती होगी। इससे महंगाई कम होगी। गेल, ऑयल इंडिया को पेट्रोलियम सब्सिडी में हिस्सा नहीं देना होगा। इससे इनका मुनाफा बढ़ेगा। सरकार को इनसे ज्यादा लाभांश मिलेगा और साथ ही जब इनका विनिवेश किया जाएगा तो इनसे ज्यादा कमाई होगी। सरकार इंडियन ऑयल में अपनी कुछ हिस्सेदारी इस वर्ष ही बेचना चाहती है।

सरकार पर सब्सिडी बोझ कम होगा जिससे राजकोषीय प्रबंधन बेहतर हो सकेगा। साथ ही निजी क्षेत्र की कंपनियां अब फिर से पेट्रोल व डीजल बेचना शुरू करेंगी। इससे प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और ग्राहकों को ही फायदा होगा।

सीएनजी, पीएनजी पर नहीं होगा असर

पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेद्र प्रधान ने पदभार संभालने के बाद से ही गैस कीमत में बढ़ोतरी के पूर्ववर्ती सरकार के फैसले का विरोध किया था। बताया जा रहा है कि उनकी कोशिशों की वजह से ही सरकार ने मौजूदा गैस की कीमत में सिर्फ 1.41 डॉलर का इजाफा किया है जबकि पूर्व सरकार ने दोगुना (4.2 डॉलर से 8.4 डॉलर) करने का फैसला किया था।

यही नहीं पेट्रोलियम मंत्रालय की तरफ से सीएनजी और पीएनजी आपूर्ति करने वाली सरकारी कंपनी इंद्रप्रस्थ गैस लिमिटेड (आइजीएल) को कहा गया है कि वह इस वृद्धि का बोझ ग्राहकों पर नहीं डाले। आइजीएल के मुताबिक नई गैस कीमत से दिल्ली में पीएनजी में 2.60 रुपये प्रति किलो और सीएनजी में 4.25 रुपये प्रति किलो की वृद्धि की जरूरत पड़ेगी लेकिन कंपनी आंतरिक स्रोतों से इसकी भरपाई की कोशिश करेगी। अलबत्ता घरेलू गैस महंगी हो जाने से गैस आधारित बिजली संयंत्रों से मिलने वाली बिजली की दर में 90 पैसे प्रति यूनिट की वृद्धि की संभावना है। साथ ही गैस आधारित उर्वरक संयंत्रों में बनने वाली खाद के भी ढाई रुपये प्रति किलो की वृद्धि हो सकती है।

यही नहीं देश की सबसे बड़ी गैस फील्ड केजी बेसिन (डी-1 और डी-3) चलाने वाली कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज को अभी बढ़ी हुई कीमत नहीं मिलेगी। ग्राहकों से बढ़ी हुई कीमत वसूली जाएगी और इसे एक अलग खाते में डाला जाएगा। चूंकि यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है इसलिए सरकार ने कहा है कि कंपनी को कानूनी जीत मिलने के बाद बढ़ी हुई कीमत मिलेगी। तेल कंपनियां अब हर छह महीने पर कीमत तय करेंगी। जबकि पूर्व सरकार ने उन्हें तीन महीने पर कीमत संशोधन की इजाजत दी थी। कीमत बढ़ने से सरकारी कंपनी ओएनजीसी को सबसे ज्यादा फायदा होगा।

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-फैसले की प्रमुख बातें-

-डीजल कीमत बाजार के हवाले

-तत्काल डीजल 3.37 रुपये सस्ता

-घरेलू गैस कीमत का नया फार्मूला मंजूर

-घरेलू गैस मूल्य बढ़कर होगा 5.6 डॉलर

-रिलायंस को बढ़ी कीमत का लाभ अभी नहीं

-सीएनजी, पीएनजी कीमत में कम से कम वृद्धि करने की होगी कोशिश


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