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भारतीय वैज्ञानिक ने इजाद की डायबिटीज की दवा, पीेएम करेंगे सम्मानित

सीएसआइआर का कहना है कि प्राचीन आयुर्वेद में बताए ज्ञान के आधार पर छह जड़ी-बूटियों का उपयोग कर यह दवा तैयार की गई है।

By Atul GuptaEdited By: Published: Sat, 24 Sep 2016 09:16 PM (IST)Updated: Sat, 24 Sep 2016 09:32 PM (IST)
भारतीय वैज्ञानिक ने इजाद की डायबिटीज की दवा, पीेएम करेंगे सम्मानित

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। डायबिटीज की वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित आयुर्वेदिक दवा बनाने वाले सरकारी वैज्ञानिकों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को सम्मानित करेंगे। इन्हें वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआइआर) के प्लैटिनम जुबली समारोह में 'लाइफ साइंसेज' श्रेणी में शीर्ष तकनीकी पुरस्कार से नवाजा जाएगा। सीएसआइआर की दो इकाइयों ने साझा तौर पर यह दवा विकसित की है जो टाइप-2 डायबिटीज में काफी प्रभावी साबित हो रही है।

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'बीजीआर- 34' नाम की यह दवा विकसित करने वाली सीएसआइआर की दोनों प्रयोगशालाएं 'राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान' (एनबीआरआइ) और 'केंद्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान' (सीआइएमपी) लखनऊ में ही स्थित हैं। इन संस्थान की ओर से एनबीआरआइ के पूर्व निदेशक डॉ. चंद्र शेखर नौटियाल के साथ ही डॉ. एकेएस रावत, डॉ. वी राव और डॉ. संजीव कुमार ओझा को यह सम्मान दिया जाएगा। इन वैज्ञानिकों की टीम ने बीजीआर- 34 को विकसित करने में छह जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया है।

प्राचीन ज्ञान संग आधुनिक विज्ञान

सीएसआइआर का कहना है कि प्राचीन आयुर्वेद में बताए ज्ञान के आधार पर छह जड़ी-बूटियों का उपयोग कर यह दवा तैयार की गई है। इसमें मेथी भी शामिल है जिसकी प्रवृत्ति आयुर्वेद में मधुमेह रोधी बताई गई है। इसके अलावा दारूहरिद्रा पैनक्रियाज में आई गड़बडि़यों को दूर करने में मदद करती है और पैनक्रियाज शरीर के अंदर चीनी की मात्रा को नियंत्रित करने में ज्यादा प्रभावी हो पाता है। गुड़माड़ और विजयसार खून में चीनी की मात्रा को नियंत्रित करता है। जबकि गिलोय और मजिस्ठा शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं। इससे मधुमेह के रोगियों को दूसरी बीमारियों और कमजोरी का खतरा कम होता है।

लंबे प्रयोग से बनी सुरक्षित

सीएसआइआर का कहना है कि इन जड़ी-बूटियों की मात्रा और मिश्रण को ले कर किए गए प्रयोगों के आधार पर यह फार्मूला तैयार किया गया है। जानवरों में किए गए अध्ययन में पाया गया कि यह मधुमेह के असर को तो कम करता ही है इस दौरान दवा में किसी तरह की टोक्सिसिटी भी नहीं पाई गई। भारत में तेजी से बढ़ते डायबिटीज (मधुमेह) के खतरे को देखते हुए यह दवा बहुत प्रभावी होगी। बीजीआर- 34 को सीएसआइआर के पिछले स्थापना दिवस पर एमिल फार्मा के साथ मिल कर बाजार में उतारा है।

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