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गोली किसी का चेहरा देखकर लिहाज नहीं करती : डॉ वैद

जब मुठभेड़ के समय आतंकी और सुरक्षाबल गोली ही चला रहे होते हैं। आतंकियों का मार गिराने के अभियान में जुटे सुरक्षाकर्मियों ने भी किसी पेड़, मकान या वाहन की आड़े ले रखी होती है।

By Abhishek Pratap SinghEdited By: Published: Thu, 30 Mar 2017 06:53 PM (IST)Updated: Thu, 30 Mar 2017 07:03 PM (IST)
गोली किसी का चेहरा देखकर लिहाज नहीं करती : डॉ वैद
गोली किसी का चेहरा देखकर लिहाज नहीं करती : डॉ वैद

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। राज्य पुलिस महानिदेशक डॉ एसपी वैद ने गुरुवार को वादी में अभिभावकों से अपने बच्चों को मुठभेड़ स्थलों से दूर रखने का आग्रह करते हुए कहा कि गोली किसी का चेहरा नहीं देखती। मुठभेड़ स्थल पर जमा होना और पथराव शुरु कर देना, आत्महत्या करने जैसा ही है।

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पुलिस महानिदेशक ने चाडूरा में गत मंगलवार को हुई मुठभेड़ के दौरान तीन प्रदर्शनकारी युवकों की मौत का जिक्र करते हुए कहा कि तीन नौजवानों की मौत शोकजनक है। इससे बचा जा सकता था, अगर लोग वहां जमा होकर हिंसा पर नहीं उतरते। उन्होंने कहा कि मौके पर मौजूद हमारे जवानों और अधिकारियों ने तीव्र उत्तेजना के बावजूद पूरा संयम बरता। कोई भी आम नागरिकों पर गोली चलाना नहीं चाहता।


उन्होंने मुठभेड़स्थलों पर युवकों के जमा होने और पथराव करने की घटनाओं के लिए दुष्प्रचार को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि सरहद पार से लगातार स्थानीय लोगों को विशेषकर नौजवानों और किशारों को विभिन्न तरीकों से गुमराह किया जा रहा है, उन्हें मुठभेड़स्थल पर पहुंचकर सुरक्षाबलों पर पथराव करने, उनके साथ मारपीट करने के लिए उकसाया जा रहा है।


पुलिस महानिदेशक ने कहा कि जब मुठभेड़ के समय आतंकी और सुरक्षाबल गोली ही चला रहे होते हैं। आतंकियों का मार गिराने के अभियान में जुटे सुरक्षाकर्मियों ने भी किसी पेड़, मकान या वाहन की आड़े ले रखी होती है। ऐसे हालात में बिना किसी आढ़ या बचाव के मुठभेड़स्थल पर जमा होने वाले नौजवान एक तरह से आत्महत्या ही कर रहे होते हैं,क्योंकि गोली किसी का चेहरा नहीं देखती।


उन्होंने कहा कि अगर चाडूरा में सुरक्षाकर्मी संयम न बरतते को अनावश्यक नागरिक क्षति बहुत ज्यादा होती। मुठभेड़ के समय जवानों की मनोदशा को समझना बहुत जरुरी है और उन्होंने उस समय जिस तरह संयम बरता, वह आसान नहीं है।


डा वैद ने कहा कि मेरी नौजवानों से, उनके अभिभावकों से अपील है कि वह मुठभेड़ के समय अपने घरों में रहें, मां-बाप अपने बच्चों को हिंसक गतिविधियों व मुठभेड़स्थलों से दूर रखें और आतंकरोधी अभियानों व कानून व्यवस्था बनाए रखने में सुरक्षा एजेंसियों का सहयोग करें।

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