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सांप्रदायिक शांति से ही संभव होगा विकास : पीयूष गोयल

गोयल का कहना है कि अब कमी बिजली की नहीं इच्छाशक्ति की है। पेश हैं उनसे पूछे गए कुछ खास सवाल और उनके जवाब।

By Gunateet OjhaEdited By: Published: Mon, 27 Jun 2016 04:22 PM (IST)Updated: Mon, 27 Jun 2016 04:41 PM (IST)
सांप्रदायिक शांति से ही संभव होगा विकास : पीयूष गोयल

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। प्रधानमंत्री मोदी न सोते हैं, न सोने देते हैं। यह कहना है ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल का। जागरण फोरम में सवालों का जवाब देते हुए गोयल ने जहां दो साल के कामकाज की रिपोर्ट देते हुए भविष्य की योजनाओं की झलक दिखाई, वहीं प्रदेश सरकार से लेकर केंद्र में पिछली सरकार तक को निशाने पर रखा। गोयल का कहना है कि अब कमी बिजली की नहीं इच्छाशक्ति की है। पेश हैं उनसे पूछे गए कुछ खास सवाल और उनके जवाब।

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सवाल

- एक ओर आप विकास की बात कर रहे हैं तो उधर कैराना का एंगल भी साथ लेकर चल रहे हैं, दोनों काम एक साथ कैसे होंगे?

जवाब
-कानून-व्यवस्था नहीं सुधरेगी तो विकास भी नहीं होगा। हमारी पार्टी मानती है कि जहां भी कानून व्यवस्था बिगड़ेगी या किसी वर्ग के साथ अन्याय होगा तो हम लड़ेंगे, उनको न्याय दिलाएंगे। सांप्रदायिक शांति रहनी चाहिए। ऐसा नहीं होना चाहिए कि एक वर्ग के लिए कोई जाए तो सांप्रदायिक और दूसरे वर्ग के लिए जाए तो सेक्यूलर कहा जाए। जिस तरह कुछ इलाकों में सांप्रदायिक शांति को भंग किया गया, ठीक नहीं है। सबके लिए समान कानून हो, सबको समान न्याय मिलना चाहिए।

सवाल

- एनएसजी सदस्यता के नतीजे के बाद चीनी सामान का बहिष्कार क्यों नहीं, जीएसटी पर अब तक कोई समन्वय बैठक क्यों नहीं, भाजपा पहले रिटेल एफडीआइ के विरोध में थी, अब यू टर्न क्यों?

जवाब

-चीन हो या अन्य देश, कूटनीति चलती रहती है। वाद-विवाद भी सतत प्रक्रिया है। बहिष्कार से देश का विकास नहीं हो सकता। अब इंटर रिलेशनशिप है, यहां से भी चीन को सामान जाता है तो उनकी भी चिंता करनी चाहिए। रास्ते खुलते हैं, आज दुनिया के नेता प्रधानमंत्री मोदी से मिलने और चर्चा करने के लिए बेताब रहते हैं। प्रधानमंत्री की छवि से देश के सवा सौ करोड़ भारतीयों की छवि बनी है। विकसित देश हमारे साथ जुड़ गए हैं। जो एक-दो देश रह गए हैं, वह भी लाइन पर आ जाएंगे। जीएसटी पर सबसे ज्यादा चर्चा हुई है और आम सहमति बन गई है। एफडीआइ में सिर्फ प्रोसीजर में परिवर्तन हुआ है। हमने ईज ऑफ बिजनेस किया है।

सवाल

-आपने बताया कि 19,706 गांवों में बिजली नहीं पहुंची, इस गांवों में कितने लोग रहते हैं कि 1.98 करोड़ लोगों को बिजली नहीं मिल पाई है?

जवाब

-एक अप्रैल 2015 को ऐसे 18,452 गांव थे, जिनके लिए प्रधानमंत्री ने प्रतिदिन एक हजार गांवों में बिजली पहुंचाने का वादा किया था। अब तक 8529 गांव विद्युतीकरण हो गया है। बाकी सभी गांवों में भी अगले साल मई तक बिजली पहुंच जाएगी। प्रधानमंत्री ने 2022 तक हर घर में बिजली पहुंचाने का लक्ष्य रखा है, लेकिन हम इसे 2019 में पूरा कर लेंगे। जो राज्य सरकारें इसमें सहयोग नहीं करेंगी, जनता उनको जवाब देगी।

सवाल

-जबसे भाजपा की सरकार आई, तबसे कितना विद्युत उत्पादन बढ़ाया? पिछली सरकार में कितना उत्पादन था? बेरोजगारी हटाने के लिए क्या कर रहे हैं?

जवाब

-70 साल तक बिजली कम थी। 67 साल तक सरकारों ने सरप्लस बिजली की कल्पना भी नहीं की थी। अब आप राज्यों से पूछ सकते हैं कि क्यों नहीं खरीद रहे बिजली। मुझे विरासत में लाखों करोड़ रुपये के ठप प्रोजेक्ट मिले। कहीं बैंक ने पैसा नहीं दिया, कहीं जमीन नहीं मिली। आज देश में इतनी बिजली है कि पांच साल तक एक मेगावाट का भी प्रोजेक्ट न लगे, तब भी कमी नहीं होगी। 67 साल में दो लाख मेगावाट के थर्मल प्रोजेक्ट आए, जबकि दो साल में 46 हजार के प्रोजेक्ट आए। इसी तरह सोलर ऊर्जा में 2014 में कुस 2400 मेगावाट की क्षमता थी। अब 6500 मेगावाट है। 2017 तक 20 हजार मेगावाट सौर ऊर्जा होगी। जहां तक बेरोजगारी की बात है तो घोटाले और अव्यवस्थाओं के चलते कौन उद्योग लगाएगा।

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