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हैकिंंग की चेतावनी पर भी सोते रहे बैंक, चार महीने से भेजे जा रहे थे अलर्ट

बैंकों के सूचना नेटवर्क पर साइबर हमला हो सकता है इस बात का पहला अलर्ट उन्हें जुलाई 2016 को भेजा गया था।

By Sachin BajpaiEdited By: Published: Fri, 21 Oct 2016 07:50 PM (IST)Updated: Sat, 22 Oct 2016 09:22 AM (IST)
हैकिंंग की चेतावनी पर भी सोते रहे बैंक, चार महीने से भेजे जा रहे थे अलर्ट

नई दिल्ली, [नितिन प्रधान]। बैंक खातों और एटीएम से जुड़ी गोपनीय सूचनाओं के लीक होने की बार बार चेतावनी के बावजूद बैंकों ने ग्राहकों को हैकरों के भरोसे छोड़ दिया। सरकार की सूचना प्रौद्योगिकी से जुड़ी एक सुरक्षा एजेंसी की तरफ से चार महीने से लगातार भेजी जा रहे अलर्ट को नजरअंदाज करने का ही नतीजा है कि बैंक ग्राहकों के 32.5 लाख एटीएम व क्रेडिट कार्डों के साथ धोखाधड़ी का खतरा पैदा हो गया। बैंकों के सूचना नेटवर्क पर साइबर हमला हो सकता है इस बात का पहला अलर्ट उन्हें जुलाई 2016 को भेजा गया था।

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सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अधीन काम करने वाली इंडियन कंप्यूटर एमर्जेंसी रिस्पांस टीम (सीईआरटी-आइएन) बीते चार महीने से बैंकों के संपर्क में थी और उन्हें लगातार एटीएम के जरिए संभावित फ्रॉड होने के खतरे से आगाह कर रही थी।

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सूत्र बताते हैं कि सितंबर में कुछ मीडिया रिपोर्टों के आधार पर सीईआरटी-आइएन ने यस बैंक से उसके चीन में एटीएम नेटवर्क में कुछ गड़बड़ी होने के अंदेशे की रिपोर्ट मांगी थी। इन मामलों में कुछ भारतीय ग्राहकों के खातों में सौदों की खबर थी। यस बैंक से औपचारिक तौर पर इन घटनाओं की सूचना देने को कहा गया था। यस बैंक ने अगले ही दिन इस बात से सहमति जता दी थी कि और इन घटनाओं को सच बताया था। यस बैंक ने यह जानकारी भी दी थी कि इस मामले में उसने पीसीआइ (पेमेंट कार्ड इंडस्ट्री) के फोरेंसिक जांचकर्ता से इस मामले की जांच करने को कहा है।

हालांकि सूत्रों के मुताबिक इससे पूर्व पहली जुलाई 2016 को ही सीईआरटी ने बैंकों को अलर्ट जारी करके चेताया था कि उनके सूचना नेटवर्क पर साइबर हमला हो सकता है। इसी अलर्ट में बैंकों को कुछ कदम उठाने का सुझाव भी दिया गया था। इसके बाद बैंकों को 12 अगस्त और 24 अगस्त 2016 को बैकडोर ट्रोजन (एक तरह का खतरनाक वायरस) के संबंध में अलर्ट भेजा। सूत्र बताते हैं कि इस अलर्ट में स्पष्ट तौर पर कहा गया था कि इस वायरस के जरिए बैंकों के नेटवर्क से सूचनाओं की चोरी की जा सकती है। इसमें भविष्य में होने वाले हमलों से भी चेताया गया था।

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इसके बाद सितंबर में यस बैंक के चीन में एटीएम के जरिए भारतीय ग्राहकों से धोखाधड़ी की खबरें आई। इतना सब होने के बाद भी संभवत: किसी बैंक ने ग्राहकों के खातों और एटीएम की गोपनीय सूचनाओं की सुरक्षा को लेकर समुचित कदम नहीं उठाए। इतना सब होने के बाद सात अक्टूबर 2016 को सीईआरटी ने फिर बैंकों को एक अलर्ट भेजा जिसमें पाकिस्तान से साइबर हमले की आशंका जतायी गई थी। अंत में 19 अक्टूबर को सीईआरटी ने नेशनल क्रिटिकल इन्फॉर्मेशन इन्फ्रास्ट्रक्चर के साथ मिलकर बैंकों के सूचना प्रौद्योगिकी सुरक्षा प्रमुखों को ईमेल भेजकर बैंक एटीएम के जरिए होने वाली धोखाधड़ी की संख्या में वृद्धि से चिंता जतायी।

सूत्र बताते हैं कि सीईआरटी के इतना सजग रहने और बैंकों को समय रहते सूचना और अलर्ट देने के बावजूद इतनी बड़ी संख्या में बैंक ग्राहकों के खातों और एटीएम को खतरे में डालने से नहीं रोका जा सका। एजेंसी ने 20 अक्टूबर को फिर से भारतीय स्टेट बैंक, एक्सिस बैंक और एचडीएफसी बैंक को इस तरह के सभी मामलों के बारे में रिपोर्ट देने को कहा है।

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