शारीरिक संबंधों से इन्कार, बन सकता है तलाक का बड़ा आधार : हाई कोर्ट
सोमवार को तलाक याचिका पर पति को राहत देते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने यह टिप्पणी की है। हाई कोर्ट ने महिला की याचिका खारिज कर दी।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : लंबे समय तक पत्नी द्वारा शारीरिक संबंध बनाने से इन्कार करना तलाक का आधार बन सकता है, यह मानसिक क्रूरता के अंतर्गत आता है। सोमवार को तलाक याचिका पर पति को राहत देते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने यह टिप्पणी की है। हाई कोर्ट ने महिला की याचिका खारिज कर दी।
न्यायमूर्ति प्रतिभा रानी व प्रदीप नंदराजोग की खंडपीठ ने कहा कि पत्नी द्वारा सास से दुर्व्यवहार करना, पति के ऑफिस में जाकर उसके बॉस से शिकायत करना, जिससे पति को अपनी नौकरी तक छोड़नी पड़ी हो यह सब मेंटल क्रूअल्टी (मानसिक क्रूरता) में आता है और तलाक के आधार हैं। मानसिक क्रूरता का स्तर इतना बढ़ चुका था कि दंपती का साथ रहना असंभव था।
मामले के अनुसार 21 नवंबर 2007 को शादी के समय महिला 35 वर्ष की थी और तलाकशुदा व्यक्ति 37 साल का। पहले शादी के दो माह तक महिला ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए शारीरिक संबंध बनाने से इन्कार किया। इसके बाद जब जनवरी 2008 में वे हनीमून पर शिमला गए तो वहां भी महिला ने उसे छूने पर शोर मचाने व बालकनी से कूदकर खुदकशी करने की धमकी दी थी।
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लौटने पर वह अपने मायके चली गई थी। महिला ने अपने बचाव में कहा था कि उसके पति को शराब की लत है और वह उस पर शारीरिक, मानसिक क्रूरता करता है। आरोप था कि उसे 10 साल से डिप्रेशन की बीमारी है और उसकी दवाइयां लेता है। यही कारण है कि वह ठीक से शारीरिक संबंध भी नहीं बना पाता। पहली पत्नी से हुई बेटी के बारे में भी उसने उसे जानकारी नहीं दी गई थी।
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