500 और 1000 रुपये के पुराने नोट अब ऐसे हो रहे इस्तेमाल
एनआइडी के फर्नीचर और इंटीरियर डिजाइन कोर्स के कोऑर्डिनेटर प्रविनीश सोलंकी ने बताया कि इसके लिए संस्थान ने मई के आखिरी सप्ताह में एक ऑल इंडिया लेवल पर कॉम्पिटीशन रखी है।
नई दिल्ली, एएनआइ। मोदी सरकार द्वारा बैन किए गए 500 और 1000 रुपये के पुराने नोट अब रद्दी के ढेर से ज्यादा कुछ नहीं हैं। कई जगह कुड़े के ढेर में भी ऐसे नोट पड़े मिले हैं। लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों की रद्दी का बहुत बेहतर उपयोग किया जा सकता है। इन्हें रीसाइकल कर कई उपयोगी चीजें बनाई जा सकती हैं। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिज़ाइन (एनआइडी) के छात्र इन दिनों स्क्रैप किए गए करेंसी नोटों से उपयोगी उत्पादों को विकसित करने में जुटे हुए हैं।
यह प्रोजेक्ट भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा एनआइडी को दिया गया है, जिसने 200 किलो पुराने नोटों के ब्रिकेट (संकुचित सामग्री के ब्लॉक) इंस्टीट्यूट को भेज दिया है। अगर छात्र इन पुराने करेंसी नोटों की रद्दी से कुछ उपयोगी चीजें बना लेते हैं तो उन्हें पुरस्कार राशि के रूप में 50,000, 75,000 और एक लाख रुपये दिए जाएंगे।
एनआइडी के फर्नीचर और इंटीरियर डिजाइन कोर्स के कोऑर्डिनेटर प्रविनीश सोलंकी ने बताया कि इसके लिए संस्थान ने मई के आखिरी सप्ताह में एक ऑल इंडिया लेवल पर कॉम्पिटीशन रखी है। स्क्रैप नोटों के बारे में बताते हुए सोलंकी ने कहा, 'ये करेंसी नोट नष्ट कर दिए गए थे अब ये स्क्रैप बन गए हैं। अब सरकार इनका बेहतर इस्तेमाल करना चाहती है। इसलिए हमें ये प्रोजेक्ट दिया है।'
उन्होंने आगे कहा, 'सरकार इस बात से अवगत है कि हमें संसाधनों को बर्बाद नहीं करना चाहिए। वैसे भी उन नोटों डिजाइन के साथ-साथ कागज और मुद्रण सामग्री भी बहुत पुरानी हो गई थी।
एनआइडी अब इन स्क्रैप में बदल चुके पुराने नोटों से कुछ डिजाइन करने जा रहा है, जो समाज के लिए उपयोगी हो सकता है। साथ ही दूसरों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित कर सकता है। सोलंकी ने हालांकि कहा कि यह कहना अभी जल्दबाजी होगा कि इनसे किस तरह के उत्पाद बनाए जाएंगे। लेकिन हम आशा करते हैं कि इनसे कुछ ऐसी उपयोगी चीजें डिजाइन होकर सामने आएं, जिससे वातावरण को लाभ पहुंचे और हरियाली फैले।
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