प्री-प्राइमरी को आरटीई के दायरे में लाने की मांग
यूनिसेफ के लुइस जॉर्जेज अर्सेनॉ ने प्री-स्कूल और माध्यमिक शिक्षा को आरटीई के दायरे में लाने की वकालत की।
नई दिल्ली, प्रेट्र : प्री-प्राइमरी और माध्यमिक शिक्षा को शिक्षा का अधिकार कानून (आरटीई) के दायरे में लाने की मांग उठी है। गुरुवार को आयोजित एक सम्मेलन में यूनिसेफ ने कानून को सही और सच्चे अर्थो में लागू करने के लिए इसे जरूरी बताया। सम्मेलन में आरटीई के क्रियान्वयन पर रिपोर्ट भी पेश की गई।
यूनिसेफ के लुइस जॉर्जेज अर्सेनॉ ने प्री-स्कूल और माध्यमिक शिक्षा को आरटीई के दायरे में लाने की वकालत की। उनके अनुसार, इस कानून में सभी जरूरी बातें हैं, जिससे भारत में शिक्षा को समावेशी बनाया जा सकता है। आरटीई मंच के राष्ट्रीय संयोजक अंबरीश राय ने क्रियान्वयन रिपोर्ट पेश की और कानून को लागू करने में पेश आ रही कमियों को उजागर किया।
उन्होंने कहा कि सिर्फ 9.5 फीसद स्कूलों ने ही अब तक आरटीई को लागू किया है। देशभर के लाखों बच्चे अब भी स्कूल से बाहर हैं। कई सरकारी स्कूलों को खराब सुविधाओं, विलय और व्यवसायीकरण के नाम पर बंद किया जा चुका है। केयर इंडिया की सुमन सचदेव ने बताया कि वर्ष 2016 तक सर्वेक्षण में शामिल 68.17 फीसद स्कूलों में ही शौचालय की सुविधा उपलब्ध थी।
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