केजरीवाल सरकार के लिए नई मुश्किल, दिल्ली में गहरा सकता है जलसंकट
टिहरी में गंगा का जल स्तर अपने निम्न स्तर पर पहुंच गया है इसलिए 8 मई से सोनिया विहार जलशोधन संयंत्र में पानी आपूर्ति बंद की जाएगी।
नई दिल्ली (रणविजय सिंह)। इस बार गर्मी में भीषण पेयजल संकट झेलने के लिए तैयार हो जाइए। हरियाणा से यमुना में पानी की आपूर्ति कम होने के कारण जहां वजीराबाद और चंद्रावल जलशोधन संयंत्रों से पानी की आपूर्ति आधी हो गई है, वहीं उत्तराखंड के टिहरी से आने वाला गंगा का पानी बंद करने का अल्टीमेटम भी दिल्ली सरकार को मिल गया।
दिल्ली में बढ़ सकता है पेयजल संकट
उत्तर प्रदेश सरकार के सिंचाई व बाढ़ नियंत्रण विभाग ने 8 मई से सोनिया विहार जलशोधन संयंत्र को पानी आपूर्ति बिल्कुल बंद करने की सूचना दे दी है। टिहरी से गंगा का पानी बंद होने से सोमवार से दिल्ली में पानी के लिए हाहाकार मच सकता है।
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दिल्ली पानी के लिए मुख्य रूप से हरियाणा और उत्तर प्रदेश पर ही निर्भर है। हरियाणा से हथिनीकुंड बैराज से यमुना नदी के पानी की दिल्ली में आपूर्ति होती है, जबकि उत्तर प्रदेश की गंग नहर के जरिये टिहरी से 240 एमजीडी पानी सोनिया विहार व भागीरथी जलशोधन संयंत्र को मिलता है।
इसमें 140 एमजीडी पानी अकेले सोनिया विहार जलशोधन संयंत्र से शोधित कर पूर्वी व दक्षिणी दिल्ली के इलाकों में आपूर्ति की जाती है।
टिहरी में गंगा नदी का जलस्तर पिछले कई दिनों से काफी नीचे चला गया है। इसके बावजूद उत्तर प्रदेश की गंग नहर से अब तक दिल्ली में पानी की आपूर्ति प्रभावित नहीं हुई थी, इसलिए सोनिया विहार व भागीरथी जलशोधन संयंत्र से सामान्य रूप से पानी की आपूर्ति हो रही है।
इसके चलते पूर्वी दिल्ली व दक्षिणी दिल्ली में पेयजल आपूर्ति की स्थिति बहुत हद तक ठीक है। लेकिन बृहस्पतिवार को दिल्ली जल बोर्ड को टिहरी से पानी बंद करने का पत्र मिल गया है। इसके चलते जल बोर्ड और दिल्ली सरकार की चिंता बढ़ गई है।
पत्र में कहा गया है कि टिहरी में गंगा का जल स्तर अपने निम्न स्तर पर पहुंच गया है इसलिए 8 मई से सोनिया विहार जलशोधन संयंत्र में पानी आपूर्ति बंद की जाएगी। ऐसे में 9 मई से शहर में पानी के लिए हाहाकार मच सकता है। मई और जून में और भी समस्या बढ़ने की आंशका है।
जल बोर्ड के अनुसार, दिल्ली सरकार ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से संपर्क किया है। पेयजल लोगों की बुनियादी जरूरत है इसलिए दिल्ली सरकार यह मांग करेगी कि यदि आपूर्ति में कटौती करनी है तो पेयजल की नहीं, बल्कि औद्योगिक इकाइयों व सिंचाई में इस्तेमाल होने वाली पानी में की जाए।