कहां गायब हो रहे हैं दिल्ली के बच्चे?
बच्चों की सुरक्षा को लेकर सरकार व पुलिस द्वारा भले ही लाखों दावे किए जा रहे हों लेकिन सच्चाई यह है कि राजधानी में बच्चों के गायब होने का सिलसिला जारी है। मानव तस्कर बच्चों को अगवा कर रहे हैं और इनका जाल विदेशों तक फैला हुआ है।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। बच्चों की सुरक्षा को लेकर सरकार व पुलिस द्वारा भले ही लाखों दावे किए जा रहे हों लेकिन सच्चाई यह है कि राजधानी में बच्चों के गायब होने का सिलसिला जारी है। मानव तस्कर बच्चों को अगवा कर रहे हैं और इनका जाल विदेशों तक फैला हुआ है। इन्हें पकड़ पाना पुलिस के लिए बहुत कठिन साबित हो रहा है।
लापता बच्चों में पुलिस उन्हीं बच्चों को ढूंढ सकी है, जो घर से भाग जाते हैं। थाना पुलिस व एनजीओ की नजर में आने पर ऐसे बच्चों को आश्रय गृहों में रखवा दिया जाता है। 1बच्चों का गायब होना बेहद गंभीर मसला है। सुप्रीम कोर्ट भी कई बार राज्यों को इस दिशा में सख्त कदम उठाने का निर्देश जारी कर चुका है। लेकिन इस सबके बाद भी पुलिस मानव तस्करों के नेटवर्क को ध्वस्त नहीं कर पा रही है।
बताया जाता है कि मानव तस्कर गिरोह छोटे बच्चों को अगवा करने के बाद उन्हें नशीली दवा खिलाकर गोपनीय जगह पर रखते हैं। फिर उनकी पहचान छिपाने के लिए उनका हुलिया बदल कर उन्हें दूसरे राज्यों में भेज दिया जाता है। वहां उनसे चौक-चौराहों व धार्मिक स्थलों पर भीख मंगवाई जाती है। लड़कियां जब बड़ी हो जाती हैं, तो उन्हें वेश्यावृत्ति में धकेल दिया जाता है।
सूचना का अधिकार (आरटीआइ) से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2013 में प्रतिदिन 18 बच्चे गायब हुए। सबसे ज्यादा बच्चे बाहरी दिल्ली से गायब हुए। इनमें लड़कियों की संख्या ज्यादा रही। इस मामले में पूर्वी दिल्ली, दक्षिणी-पूर्वी दिल्ली और दक्षिणी-पश्चिमी दिल्ली का क्रमश: दूसरा, तीसरा एवं चौथा स्थान रहा।
पूर्वी दिल्ली में 459 लड़कियों की गुमशुदगी दर्ज की गई। 1नाबालिगों की सुरक्षा गंभीर मुद्दा1नाबालिगों के लिए काम करने वाली संस्था नवसृष्टि ने आरटीआइ के तहत वर्ष 2013 में नाबालिगों के गायब होने के संबंध में सूचना मांगी थी।
नवसृष्टि के प्रवक्ता शनि कहते हैं कि आरटीआइ से जो खुलासा हुआ वह चौंकाने वाला था। राजधानी में प्रतिदिन 18 बच्चे गायब हुए और यह बेहद गंभीर मसला है। वह कहते हैं, पिछले कुछ समय में राजधानी में मानव तस्करी के कई मामले सामने आए हैं। ऐसे में नाबालिगों का गुम होना चिंताजनक है।
गत वर्ष 3059 नाबालिग लड़कियां गायब हुईं। वहीं, 9 जून 2014 तक दक्षिणी-पूर्वी दिल्ली से कुल 121 नाबालिग गायब हुए। संगम विहार से सबसे ज्यादा 16 नाबालिगों की गुमशुदगी दर्ज की गई, जबकि सरिता विहार से 15, जैतपुर से 15, ओखला से 12 व गोविंदपुरी से 12 नाबालिग गुम हुए।
वर्ष 2012 में बच्चों की गुमशुदगी के 3503 मामले सामने आए थे लेकिन वर्ष 2013 में यह आंकड़ा 5565 पर पहुंच गया। वर्ष 2014 में यह आंकड़ा बढ़कर 6,227 हो गया। दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ऑपरेशन मिलाप अभियान के तहत 73 बच्चों को ढूंढकर उन्हें उनके माता-पिता से मिलवा चुकी है।
पुलिस आयुक्त भीमसेन बस्सी का कहना है कि गुमशुदा बच्चों के मामले में अगर उन्हें यह शिकायत सुनने को मिली कि किसी थानाध्यक्ष ने मामला दर्ज करने में लापरवाही की, तो उसकी खैर नहीं होगी।