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शशि थरूर मानहानि मामले में अर्नब गोस्वामी को हाईकोर्ट का नोटिस

अदालत ने पूछा है कि कि क्यों न याचिका स्वीकार कर ली जाए। मामले की अगली सुनवाई 16 अगस्त को होगी।

By Manish NegiEdited By: Published: Mon, 29 May 2017 10:07 PM (IST)Updated: Mon, 29 May 2017 10:07 PM (IST)
शशि थरूर मानहानि मामले में अर्नब गोस्वामी को हाईकोर्ट का नोटिस
शशि थरूर मानहानि मामले में अर्नब गोस्वामी को हाईकोर्ट का नोटिस

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। कांग्रेस नेता शशि थरूर द्वार दायर दो करोड़ के मानहानि मामले में हाई कोर्ट ने न्यूज चैनल रिपब्लिक के संपादक अर्नब गोस्वामी व चैनल प्रशासन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। थरूर ने चैनल पर अपनी पत्नी सुनंदा पुष्कर की मौत के मामले में उनके खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणियां करने का आरोप लगाया है।

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अदालत ने पूछा है कि कि क्यों न याचिका स्वीकार कर ली जाए। मामले की अगली सुनवाई 16 अगस्त को होगी। न्यायमूर्ति मनमोहन ने नाराजगी जताते हुए कहा कि पत्रकार व चैनल सुनंदा पुष्कर की मौत की जांच से संबंधित तथ्यों को बताकर कहानियां पेश कर सकते है, लेकिन तिरुवनंतपुरम से लोकसभा सदस्य शशि थरूर को अपराधी नहीं कह सकते। चैनल की तरफ से कहा गया कि थरूर प्रतिक्रिया नहीं दे रहे थे। इस पर अदालत ने कहा कि केवल इसलिए कि थरूर चैनल के शो में नहीं आ रहे थे या साक्षात्कार नहीं दे रहे थे, यह कहने का कोई कारण नहीं हो सकता कि वे भाग रहे हैं, जैसा कि समाचार चैनल पर कहा गया था।

अदालत ने कहा कि एक व्यक्ति के पास चुप रहने का अधिकार है। हमारा कानून इसकी इजाजत देता है। याची के खिलाफ इस प्रकार की बयानबाजी उचित नहीं है। अदालत ने संपादक से कहा कि जो कुछ भी उत्तेजना है, आप याची को एक राजनीतिज्ञ के रूप में अपराधी नहीं कह सकते हैं। आप इस तरह की भाषा का उपयोग नहीं कर सकते हैं। उनका नाम इस तरह से नहीं ले सकते। पत्रकार को जांच करने का अधिकार है, जिसे रोका नहीं जा सकता, लेकिन साथ ही उसे शांत और संतुलित रहना चाहिए।

अदालत के रवैये को देख अर्नब और चैनल की और से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता संदीप सेठी ने कहा कि वे अपने मुवक्किल को इस मुद्दे पर उचित सलाह देंगे। उनके मुवक्किल थरूर के खिलाफ दिए गए बयानों का औचित्य बताएंगे और ऐसे में कोई अंतरिम आदेश पारित नहीं किया जाना चाहिए। थरूर की और से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सलमान खुर्शीद ने अदालत को बताया कि 6 मई को चैनल शुरू किया गया था तब से सुनंदा की मौत के मामले में हर दिन तीन से पांच घंटे की लंबी खबरें प्रसारित की जा रही हैं और उनके मुवक्किल को बदनाम किया जा रहा है।

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