मुख्यमंत्री ने दिल्ली को स्लम बना दिया: विजय गोयल
जेपी आंदोलन के दौरान राजनीति में आए। गोयल अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से सक्रिय रूप से जुड़े रहे। उन्होंने एक अंक वाली लाटरी के खिलाफ ऐसा आंदोलन चलाया कि सरकार को आखिरकार इसे बंद करना पड़ा। वह दिल्ली से सांसद चुने गए और अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में केंद्रीय राज्य मंत्री रहे। इस समय भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष हैं और मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में से एक हैं।
नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष 1993 से 1998 तक रहे चरती लाल गोयल के पुत्र विजय गोयल एम. कॉम एलएलबी हैं। जेपी आंदोलन के दौरान राजनीति में आए। गोयल अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से सक्रिय रूप से जुड़े रहे। उन्होंने एक अंक वाली लाटरी के खिलाफ ऐसा आंदोलन चलाया कि सरकार को आखिरकार इसे बंद करना पड़ा। वह दिल्ली से सांसद चुने गए और अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में केंद्रीय राज्य मंत्री रहे। इस समय भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष हैं और मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में से एक हैं।
दिल्ली विधानसभा चुनाव की तैयारियों व मुद्दों पर विजय गोयल से वरिष्ठ संवाददाता राजू सजवान की बातचीत के प्रमुख अंश:
विधानसभा चुनाव में भाजपा की क्या स्थिति रहेगी?
-अब तक हुए सभी सर्वेक्षणों में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी मानी जा चुकी है और चुनाव में भाजपा को पूर्ण बहुमत मिलेगा। जनता कांग्रेस के शासनकाल से तंग आ चुकी है और दिल्ली में नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में चलने वाली सरकार देखना चाहती है।
मुख्यमंत्री कहती हैं कि आपके पास प्रशासनिक क्षमता नहीं है? -मुख्यमंत्री खूब जानती हैं कि वाजपेयी सरकार में मैं प्रधानमंत्री कार्यालय में केंद्रीय राज्य मंत्री था और चार मंत्रालय खेल, संसदीय कार्य, कार्यक्रम कार्यान्वयन, योजना व श्रम मंत्रालय का काम देखता है। मुख्यमंत्री से पूछिए कि यदि उनमें प्रशासनिक क्षमता है तो उन्होंने 15 साल में दिल्ली को स्लम क्यों बना दिया।
विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी का क्या होगा? -दिल्ली में दो ही पार्टियां हैं- भाजपा व कांग्रेस। छोटी पार्टियां वोट काटेंगी, लेकिन जनता वोट खराब नहीं करेगी और भाजपा को वोट देगी।
भाजपा का मुख्यमंत्री कौन होगा? -प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते मेरा काम पार्टी को जीत दिलाना है। मुख्यमंत्री का फैसला पार्टी का संसदीय बोर्ड करेगा।
कांग्रेस कहती है कि भाजपा शासित राज्यों में बिजली सस्ती नहीं है और दिल्ली में अन्य राज्यों की अपेक्षा बिजली सस्ती है?
-दो साल में भाजपा शासित राज्यों में बिजली के चार फीसद से अधिक दाम नहीं बढ़े, लेकिन दिल्ली में दो साल में 72 फीसद दाम बढ़े। मुख्यमंत्री शीला दीक्षित गलत आंकड़े प्रस्तुत करती हैं कि दिल्ली में बिजली सस्ती है। इसका मतलब यह है कि वह दोबारा सत्ता में आई तो बिजली के दाम और बढें़गे।
आप 30 फीसद दाम कैसे कम करेंगे?
-बिजली के दाम कम करना बेहद आसान है। मोबाइल कंपनियों में प्रतियोगिता कराने से कॉल रेट कम हुई हैं, ऐसा ही दिल्ली में बिजली कंपनियों के साथ किया जाएगा।
चुनाव में नरेंद्र मोदी का असर दिखेगा?
-बिल्कुल दिखेगा। वह कोई व्यक्ति नहीं, बल्कि एक विजन हैं, जिसे पूरा देश स्वीकार कर रहा है।
सरकार पानी का निजीकरण करना चाहती है। भाजपा की सरकार आई तो क्या होगा?
-पानी का उचित प्रबंधन। उचित प्रबंधन से दिल्लीवासियों को पर्याप्त पानी उपलब्ध कराया जा सकता है। वर्तमान व्यवस्था को सही ढंग से चलाया जा सकता है। बिजली के निजीकरण से जनता त्रस्त है। कांग्रेस सरकार ने पानी की दरें 1100 फीसद बढ़ा कर लोगों को और परेशान कर रही है।
मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर