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मीडिया कारोबार से दूर रहें सरकार और नेता

दूरसंचार व प्रसारण नियामक ट्राई के अध्यक्ष राहुल खुल्लर ने शनिवार को कहा कि सरकार को राष्ट्रीय मीडिया नीति में यह स्पष्ट करना चाहिए कि नेताओं, सरकारों व उनके संस्थान प्रसारण कारोबार में शामिल न हों। भारतीय उद्योग मंडल के सीआइआइ बिग पिक्चर सम्मेलन के दौरान खुल्लर ने कहा कि नेताओं, सरकार, राज्य सरकारो

By Edited By: Published: Sun, 21 Sep 2014 05:52 AM (IST)Updated: Sun, 21 Sep 2014 05:51 AM (IST)
मीडिया कारोबार से दूर रहें सरकार और नेता

नई दिल्ली। दूरसंचार व प्रसारण नियामक ट्राई के अध्यक्ष राहुल खुल्लर ने शनिवार को कहा कि सरकार को राष्ट्रीय मीडिया नीति में यह स्पष्ट करना चाहिए कि नेताओं, सरकारों व उनके संस्थान प्रसारण कारोबार में शामिल न हों।

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भारतीय उद्योग मंडल के सीआइआइ बिग पिक्चर सम्मेलन के दौरान खुल्लर ने कहा कि नेताओं, सरकार, राज्य सरकारों, उनके संस्थानों का प्रसारण कारोबार में कोई हिस्सा नहीं होना चाहिए। यह मेरी व्यक्तिगत राय है कि सरकार को राष्ट्रीय मीडिया नीति के अभिन्न अंग के रूप में इसकी घोषणा करनी चाहिए।

खुल्लर ने भारत दूरसंचार नियामक प्राधिकरण की ओर सेमीडिया स्वामित्व पर की गई सिफारिशों का हवाला देते हुए कहा कि सरकारों, नेताओं व उनसे संबंधित संस्थाओं को प्रसारण कारोबार से अलग रहना चाहिए। ट्राई ने इससे पहले नवंबर 2008 में कुछ पार्टियों के इस कारोबार में शामिल होने पर रोक लगाने की सिफारिशें की थी, लेकिन सरकार ने इन्हें लागू नहीं किया था।

राष्ट्रीय मीडिया नीति में क्या होना चाहिए, आइए इस बारे में मैं आपको बताता हूं। सबसे पहले तो यह बिल्कुल स्पष्ट हो कि हमें एक स्वतंत्र मीडिया की जरूरत है, जिस पर सरकार का किसी भी रूप में नियंत्रण व हस्तक्षेप न हो।

नियामक ने पिछले महीने एक बार फिर मीडिया स्वामित्व पर अपनी संस्तुति की थी। इसमें सुझाव दिया गया था कि राजनीतिक संस्थाओं व उद्योग जगत के टीवी व समाचारपत्र के कारोबार में उतरने पर पूरी तरह रोक लगाई जाए।

इस वक्त मैं यह नहीं कह सकता कि सरकार इस पर क्या करेगी और क्या नहीं। मैं पूरे यकीन से कहता हूं कि वह वक्त आ गया है, जब हमें इस पर बहस करनी चाहिए कि क्या उन चीजों को चलते रहने देना चाहिए, जो आज मीडिया जगत में हो रही हैं और क्या मुख्यमंत्रियों को बिना राष्ट्रीय हित को नुकसान पहुंचाए मीडिया वितरण को नियंत्रित करते रहने दिया जाना चाहिए। मीडिया को स्वतंत्र नियामक द्वारा नियंत्रित किया जाना चाहिए। ऐसी कोई संस्था हो ही नहीं सकती जिसके अधिकार तो हों लेकिन कोई कर्तव्य न हों।

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